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    Pantnagar University की बड़ी सफलता, बनाया जाएगा बदरी गाय का क्लोन; लास्ट फेज में प्रोजेक्ट

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 01:56 PM (IST)

    गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर ने बदरी गाय का नया क्लोन बनाने में सफलता पाई है। भ्रूण तैयार हो गया है और वैज्ञानिक भ्रूण स्थानांतरण का अंतिम चरण अक्टूबर तक पूरा करेंगे। इस परियोजना का उद्देश्य बदरी गाय की श्रेष्ठ आनुवंशिकी तैयार करना है जिससे दूध उत्पादन और नस्ल सुधार को बढ़ावा मिलेगा। बदरी गाय का दूध ए-टू बीटा केटिन प्रोटीन से भरपूर है और स्वास्थ्यवर्धक है।

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    क्लोन व भ्रूण तैयार करने के पांच महत्वपूर्ण चरण पूरे. File

    अनुज सक्सेना, जागरण पंतनगर । गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर को बदरी गाय का नया क्लोन तैयार करने में सफलता मिल गई है। इसके लिए भ्रूण तैयार कर लिया गया है। विज्ञानियों ने क्लोन व भ्रूण तैयार करने के पांच महत्वपूर्ण चरण पूरे कर लिए हैं। अब अंतिम चरण यानी भ्रूण का बदरी गाय में स्थानांतरण अक्टूबर तक कर लिया जाना है।

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    इसके सफल होने पर बदरी गाय के नस्ल संरक्षण एवं उच्च गुणवत्ता वाले दूध उत्पादन की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल होगी। उत्तराखंड की अमूल्य धरोहर मानी जाने वाली पहाड़ी बदरी गाय के संरक्षण, संवर्धन और नस्ल सुधार की दिशा में पंतनगर विश्वविद्यालय ने ऐतिहासिक पहल की है।

    कुलपति डा. मनमोहन सिहं चौहान के निर्देशन में विश्वविद्यालय में ही राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआइ) करनाल (हरियाणा) के सहयोग से एक महत्वा कांक्षी क्लोनिंग परियोजना पर कार्य चल रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य बदरी गाय की श्रेष्ठ आनुवंशिकी तैयार करना है, जिससे भविष्य में दूध उत्पादन और नस्ल सुधार को बढ़ावा देना है। क्लोन के लिए सेंपल चंपावत और पिथौरागढ़ जिले से उत्कृष्ट बदरी गायों से लिए गए थे।

    विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि इसका दूध ए-टू बीटा केटिन प्रोटीन से भरपूर होता है, जो पचने

    में आसान और स्वास्थ्यवर्धक है। अभी तक यह गाय डेढ़ से तीन लीटर दूध देती है। परियोजना सफल होने पर यह चार से पांच लीटर दूध दे सकेगी। इसी महीने क्लोन से लैब में तैयार भ्रूण को गाय में स्थानांतरण की प्रक्रिया भी हो जाएगी।

    श्रेष्ठ होगा दूध

    बदरी गाय का दूध शिशुओं, बुजुर्गों और रोगियों के लिए श्रेष्ठ माना गया है। पर्वतीय वातावरण और जैविक चरागाहों में चरने के कारण इसके दूध में औषधीय गुण पाए जाते हैं। जो मधुमेह, हृदय रोग और पाचन संबंधी समस्याओं में लाभकारी माने जाते हैं। बदरी गाय के दूध से बना घी अत्यंत पौष्टिक है।

    इस परियोजना के अंतर्गत ओवम पिक-अप (ओपीयू) तकनीक और सामैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर (एससीएनटी) जैसी अत्याधुनिक विधियों का उपयोग किया जा रहा है।

    - डा. मनमोहन सिंह चौहान, कुलपति