नही रहे अपना पूरा जीवन गुरु साहिब को समíपत करने वाले बाबा तारा सिंह
बाजपुर में बाबा तारा सिंह उर्फ बाई जी का बुधवार को निधन हो गया है।

संवाद सहयोगी,बाजपुर: गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब के नए भवन के संस्थापक व अपने जीवन काल की सभी जमा पूंजी गुरुद्वारा साहिब को समíपत कर देने वाले बाबा तारा सिंह उर्फ बाई जी का 96 वर्ष की आयु में बुधवार को निधन हो गया। अंतिम संस्कार दीवान हाल परिसर में किया गया।
बाबा दर्शन सिंह कुल्ली वालों की याद में अनेक दशकों से ग्राम खुशालपुर में गुरुद्वारा दूख निवारण साहिब स्थापित है। वर्ष 1978 में लुधियाना के ग्राम हरिपुर बुर्ज से आए सरदार तारा सिंह ने गुरु घर की सेवा का प्रस्ताव संगत के समक्ष रखा। तभी से वह एक छोटे से कमरे मे गुरु साहिब का प्रकाश कर संगत को गुरु से जोड़ने का कार्य कर रहे थे। उन्होंने समय समय पर संगत के समक्ष गुरु साहिब के दरबार का प्रस्ताव भी रखा लेकिन धन एकत्र नहीं हो पाने के कारण भवन नहीं बन पाया। इस बीच तारा सिंह ने पंजाब स्थित अपने गांव की जमीन बेच कर आठ एकड़ भूमि गुरुद्वारा साहिब के नाम कर दी और उसी की आय से गुरुद्वारा साहिब के खर्च चल निकले। उनके समर्पण ने उन्हें बाबा तारा सिंह की उपाधि प्रदान की। वर्ष 2010 में बाबा जी ने भव्य भवन का प्रस्ताव संगत के समक्ष रखा और पैसा स्वयं व गुरुद्वारा साहिब की जमीन से हुई आय में से से देने की बात कही। इस दौरान बाबा दर्शन सिंह कुल्ली बालों से आगे संगत का नेतृत्व करने बाले बाबा गुरदेव सिंह ने तारा सिंह का सम्मान करते हुए अमृतसर से अपनी पूरी टीम के साथ मात्र छह दिन में बुनियाद से लेकर लेंटर डाल दिया। आज लगभग एक एकड़ में भव्य भवन गुरुद्वारा साहिब स्थापित है। उनके प्रयासों से निíमत गुरुद्वारा साहिब के दीवान हाल के पास उनका अंतिम संस्कार किया गया उनके सहयोगी रहे बल्लविदर सिंह ने बताया कि बाबा जी का जन्म 1925 को हुआ था।
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संगत को समíपत की दो गाड़ियां
बाबा तारा सिंह ने अपने जिदा रहते ही गुरु ग्रंथ साहिब को निवास स्थान पर ले जाने के लिए व गुरुद्वारा साहिब के कार्य के लिए दो गाड़ी अपने पास से लेकर प्रदान की थी। वर्तमान में गुरुसाहिब के नाम से लगभग दो करोड़ की आठ एकड़ जमीन भी छोड़ कर गए हैं। गाजे बाजे के साथ बाबा जी को देह रूपी शरीर से विदा किया गया। संगत ने कहा कि बाबा जी शरीर से गए हैं, आत्मा उनके पास है ।
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