फर्जी एनएबीएच प्रमाण पत्र उत्तराखंड का ये अस्पताल आयुष्मान योजना से बाहर, अब होगी वसूली
हरिद्वार के रुड़की अस्पताल ने आयुष्मान योजना में एनएबीएच का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर सूचीबद्धता प्राप्त की। प्रमाण पत्र राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के पोर्टल पर उपलब्ध रिकॉर्ड से मेल नहीं खाता था। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अस्पताल की संबद्धता रद्द कर दी है और 70.54 लाख की वसूली के आदेश दिए हैं। अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की तैयारी है। अस्पताल ने प्रोत्साहन राशि का भी दुरुपयोग किया।

जागरण संवाददाता, देहरादून। आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़े का एक बड़ा मामला सामने आया है। हरिद्वार जनपद के रुड़की अस्पताल ने एनएबीएच (नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फार हास्पिटल्स) का फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर आयुष्मान योजना के तहत सूचीबद्धता प्राप्त की थी। पर यह प्रमाण पत्र राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के पोर्टल पर उपलब्ध रिकार्ड से मेल नहीं खाता। जिसके बाद राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अस्पताल की संबद्धता निरस्त कर दी है।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के निदेशक (हास्पिटल मैनेजमेंट) डा. राजन अरोड़ा के अनुसार एनएबीएच द्वारा फर्जी प्रमाण पत्रों को लेकर पूर्व में चेतावनी जारी की गई थी। जिसमें कहा गया था कि यदि कोई संस्थान फर्जी सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करता है, तो पूरी जिम्मेदारी उस संस्था की होगी।
अस्पताल पर अनुबंध शर्तों के उल्लंघन और नकली दस्तावेजों के जरिये आर्थिक लाभ उठाने के आरोप में 70,54,118 की वसूली के आदेश जारी किए गए हैं। यह राशि अस्पताल को एक सप्ताह के भीतर जमा करनी होगी। वहीं, एफआइआर दर्ज करने की प्रक्रिया भी प्राधिकरण ने शुरू कर दी है।
प्रोत्साहन राशि का भी किया गया दुरुपयोग
एनएबीएच प्रमाण पत्र के आधार पर आयुष्मान योजना में सूचीबद्ध अस्पतालों को 10 से 15 प्रतिशत तक अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि मिलती है। एंट्री लेवल एनएबीएच पर 10 प्रतिशत और फुल एनएबीएच पर 15 प्रतिशत। इसके अलावा, इन अस्पतालों पर रेफरल की बाध्यता भी नहीं होती। रुड़की अस्पताल ने इस प्रावधान का लाभ भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उठाया।
मानकों से समझौता बर्दाश्त नहीं
आयुष्मान भारत योजना एक जनकल्याणकारी योजना है। इसमें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या मानकों का उल्लंघन गंभीर अपराध है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लाभ लेना अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसी संस्थाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। - रीना जोशी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण
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