किसानों के लिए वरदान बना 'सरल एप', बुआई से कटाई तक... एक क्लिक में मिलेगी फसलों की सेहत की जानकारी
किसानों के लिए खुशखबरी है। गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय ने 'सरल-एप' बनाया है, जो बोआई से कटाई तक फसल की जानकारी देगा। आर्टिफिश ...और पढ़ें

अनुज सक्सेना, रुद्रपुर। किसानों के लिए खुशखबरी है। अब एक ऐसा एप्लीकेशन (एप) आने जा रहा है कि जो बोआई से लेकर कटाई तक फसल से संबंधित हर जानकारी मोबाइल पर ही अपडेट करता रहेगा।
स्थान, भौगोलिक परिस्थिति और मौसम की जानकारी आधारित इस एप को गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने तैयार किया है।
विज्ञानियों की टीम ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) व ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) आधारित इस एप का नाम सरल-एप रखा है। इसके ट्रायल का अंतिम चरण चल रहा है और नए साल से देश के किसी भी हिस्से में रहने वाले किसानों की यह मदद करने लगेगा।
हरित क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला जीबी पंत विश्वविद्यालय अब किसानों की फसल की सेहत से जुड़ी चिंता को तकनीकी के माध्यम से दूर करने जा रहा है।
विश्वविद्यालय के एग्रो मेट्रोलाजी विभाग के प्राध्यापक डा.अजीत सिंह नैन के निर्देशन में मृदा विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा.अरविंद त्यागी और शस्य विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा.अजय श्रीवास्तव की टीम ने सरल-एप तैयार कर लिया है।
डा.नैन बताते हैं कि अभी तक गूगल एप समेत कई माध्यम से किसानों को फसल और मौसम की जानकारी सामान्यतया मिल ही जाती है लेकिन सरल-एप पूरी तरह सटीक होगा।
सरल एप किसी किसान को सिर्फ उसी की फसल, स्थान और वहां के मौसम के बारे में पूरी विस्तृत जानकारी बताने में सक्षम होगा।
क्योंकि हर क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां, मौसम का प्रभाव व खेत की उर्वरा स्थिति अलग-अलग होती है। हर खेत की सेहत अलग होती है। ऐसे में अभी तक कोई एप ऐसा नहीं था जो हर खेत, उसमें उगाई जा रही फसल, मौसम और उस फसल की सेहत जानकर उसकी उत्पादकता की भी जानकारी किसान को दे सकता हो।
नया एप किसान को बताएगा कि कब खाद डालनी है, कब कितना पानी देना है, कब दवा आदि का छिड़काव करना है और कटाई कब कर लेनी है। एप के अनुसार काम करने पर अंत में यह भी किसान को पता चल सकेगा कि जिस तरह एप के मार्गदर्शन में वह खेती कर रहा है उससे उसे कितनी फसल प्राप्त हो जाएगी।
इस तरह काम करेगा सरल एप
डा.अजीत सिंह नैन बताते हैं कि सरल-एप में नासा का डेटा उपलब्ध होगा। साथ ही एआइ व जीपीएस सिस्टम भी लैस रहेगा। जीपीएस सिस्टम किसान के उसी खेत की लोकेशन पकड़ने में मदद करेगा। नासा का सर्वर मौजूदा मौसम का डेटा देगा और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) से मौसम का अगले पांच दिन का पूर्वानुमान मिलेगा।

इन सभी की मदद से एप किसान को इस बात से अवगत कराएगा कि अच्छी उपज के लिए उसे कब क्या-क्या करना है। हर पांचवे दिन यह अपडेट किसान को घर बैठे ही मिल जाएगा।
कृषि क्षेत्र में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक लगातार नए-नए शोध में जुटे हैं। इसी कड़ी में अब सरल-एप तैयार किया गया है। इससे देश के किसी भी हिस्से से कोई भी किसान सिर्फ अपने खेत, फसल, उत्पादकता आदि की पूरी जानकारी ले सकता है। देश में अभी तक इस तरह का एप नहीं है। हमारे विज्ञानियों की टीम को बधाई।
डा.मनमोहन सिंह चौहान, कुलपति

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