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    सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तराखंड के थानों में लगे 996 सीसीटीवी, ऐसे होगी मॉनिटरिंग

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 12:55 PM (IST)

    उत्तराखंड के 166 पुलिस थानों में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 996 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिनमें एक साल की रिकॉर्डिंग क्षमता है। राज्य और जिला स्तर पर निगरानी समितियां गठित की गई हैं। थाना प्रभारियों को प्रतिदिन रिकॉर्डिंग जांचनी होगी, और वे किसी भी खराबी के लिए जिम्मेदार होंगे। यह कदम पुलिस थानों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

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    उत्तराखंड के कुल 166 पुलिस थानों में 996 सीसीटीवी कैमरे स्थापित। प्रतीकात्‍मक

    जागरण संवाददाता, काशीपुर। सुप्रीम कोर्ट के परमवीर सिंह सैनी केस में दिये गये आदेशों के अनुपालन में उत्तराखंड के कुल 166 पुलिस थानों में 996 सीसीटीवी कैमरे स्थापित किये गये हैं। इन कैमरों की रिकॉर्डिंग क्षमता कम से कम एक वर्ष की है। इनके रखरखाव, निरीक्षण और फुटेज के अध्ययन के लिये राज्य और जनपद स्तर पर समितियों का गठन किया गया है। यह जानकारी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) को पुलिस मुख्यालय ने सूचना के अधिकार के तहत प्रदान की है।

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    काशीपुर निवासी नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में लगाये गये सीसीटीवी कैमरों की स्थिति, रखरखाव और निगरानी तंत्र से संबंधित जानकारी मांगी थी। उनके आवेदन पर पुलिस मुख्यालय के लोक सूचना अधिकारी/पुलिस अधीक्षक (का0व्य0) कमलेश उपाध्याय तथा महानिरीक्षक पुलिस दूरसंचार के लोक सूचना अधिकारी/पुलिस उपाधीक्षक (पु0दू0) सतेन्द्र सिंह नेगी ने विवरण व एसओपी की प्रतियां उपलब्ध करायीं।

    राज्य के 166 थानों में जिलावार कैमरों की संख्या इस प्रकार है

    अल्मोड़ा 72, बागेश्वर 36, चमोली 60, चम्पावत 48, देहरादून 138, हरिद्वार 114, नैनीताल 96, पौड़ी गढ़वाल 84, पिथौरागढ़ 96, रुद्रप्रयाग 30, टिहरी गढ़वाल 72, उधमसिंह नगर 108 और उत्तरकाशी 42 कैमरे। एसओपी के अनुसार प्रत्येक थाने में औसतन 6 कैमरे स्थापित किये गये हैं, जिनमें ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा है। राज्य स्तरीय और जनपद स्तरीय समितियों को इनकी नियमित निगरानी और रखरखाव सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गयी है।

    कैमरों के देखरेख की जिम्मेदारी तय

    थानों में लगे कैमरों की देखरेख के लिये थाना प्रभारी, नोडल अधिकारी और नियुक्त सीसीटीवी निगरानी कर्मियों के कर्तव्य स्पष्ट रूप से तय किये गये हैं।
    प्रत्येक ड्यूटी से पहले कैमरों की जांच, रात की रिकॉर्डिंग की समीक्षा, खराबी की स्थिति में तुरंत रिपोर्टिंग और रजिस्टर में प्रविष्टि अनिवार्य की गई है। थानाध्यक्ष को प्रतिदिन सुबह 8 बजे स्वयं कैमरों की रिकॉर्डिंग चेक करनी होगी। किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ या खराबी के लिये थानाध्यक्ष व नोडल अधिकारी जिम्मेदार होंगे।

    परमवीर सिंह सैनी बनाम बलजीत सिंह मामले में आया था आदेश

    भारत के सर्वोच्च न्यायालय का यह ऐतिहासिक निर्णय देशभर के पुलिस थानों और जांच एजेंसियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से साल 2020 में दिया गया था। कोर्ट ने आदेश दिया कि प्रत्येक पुलिस स्टेशन, एनआईए, ईडी, एनसीबी जैसे सभी जांच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य होगा। इन कैमरों की फुटेज कम से कम छह महीने तक सुरक्षित रखी जाएगी। संचालन और रखरखाव की निगरानी के लिए राज्य और जिला स्तर पर निरीक्षण समितियां गठित करने का निर्देश दिया गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संबंधित थाना प्रभारी सीसीटीवी सिस्टम की कार्यप्रणाली और रिकॉर्डिंग के लिए जिम्मेदार होंगे। साथ ही नागरिकों को यह अधिकार दिया गया कि किसी मानवाधिकार हनन के मामले में वे सीसीटीवी फुटेज संरक्षित करने का अनुरोध कर सकें। यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।