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    उजड़ गया रमणीक गिरिताल

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    Updated: Sat, 05 May 2012 05:02 AM (IST)

    काशीपुर, जागरण कार्यालय: अलग उत्तराखंड राज्य बनने पर नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण पर्वतीय क्षेत्रों के साथ तराई के रमणीक स्थलों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के दावे किए गए थे। उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश बना कर राजस्व में वृद्धि का भी उद्देश्य था। लेकिन पौराणिक शहर काशीपुर में पर्यटन स्थल गिरिताल पूरी तरह उजड़ गया है।

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    पुराणों में द्वापर युग के महत्वपूर्ण प्रसंगों में काशीपुर का उल्लेख है। अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां गुरु द्रोणाचार्य के संग समय बिताया था। तालाबों और झीलों के लिए तराई मशहूर है। इन्हीं में गिरिताल भी एक है। हाल के कुछ वर्षो तक गिरिताल में लोग झुलसती गर्मी से राहत के लिए नौका विहार करते थे। तालाब के चारों ओर मंदिरों की श्रंखला है। उत्तर प्रदेश का हिस्सा होने के दौरान गिरिताल के एक सिरे पर पर्यटक आवास गृह राज्य सरकार ने बनवाया था, ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। अब गिरिताल में जलकुंभी और घास का जंगल जैसा प्रतीत होता है। नौकायन बंद हो चुका है। उचित रखरखाव का न होना, इसके लिए जिम्मेदार है। इसकी देखभाल के लिए हिंदी प्रेम सभा नामक संस्था है। संस्था के आजीवन सदस्यों और वर्तमान कमेटी के पदाधिकारियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहता है। इसी कारण रखरखाव न होने से ऐतिहासिक झील का अस्तित्व खतरे में है, जिससे पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जब इस बाबत सभा के अध्यक्ष से बात करनी चाही तो पता लगा कि वह इलाज के लिए शहर से बाहर गए हुए हैं।

    हिंदी प्रेम सभा गिरिताल के उजड़ने के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा संस्था की कई अन्य संपत्तियों का रखरखाव भी संतोषजनक नहीं है।

    - राजीव अग्रवाल, सभा के आजीवन सदस्य व पूर्व विधायक

    गिरिताल को साफ कराकर नौका विहार पुन: शुरू कराया जाएगा, ताकि झील का आकर्षण बरकरार रहे।

    - शैलेंद्र मिश्रा, वर्तमान कमेटी के सदस्य

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