पापुलर की खेती से उठा सकते हैं दोहरा लाभ
काशीपुर, जागरण कार्यालय: खेतों में पापुलर के पेड़ लगाने के साथ खेती भी की जा सकती है। किसानों को इससे दोहरा लाभ होगा।
आम व अमरूद के बागों में किसान फसलें नहीं उगा पाते हैं। वजह, आम व अमरूद के वृक्ष में फैलाव होता है। बड़े होने पर काफी जगह घेरते हैं। इसकी जड़ें भी दूर-दूर तक फैलती हैं। पेड़ों की छाया में फसलें पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाती है। पैदावार बहुत कम हो पाती है। यदि किसान बाग के अंदर फसलें बो भी देते हैं तो उन्हें पूरी लागत लगाने के बाद भी पर्याप्त उपज नहीं मिल पाती। किसानों को इससे लाभ होने के बजाए हानि होती है। पापुलर के बाग में किसान आसानी से फसलें उगाकर दोहरा लाभ उठा सकते हैं। पापुलर एक ऐसा वृक्ष है, जो फैलावदार नहीं होता। वह बिल्कुल सीधा चलता है। इसकी लंबाई फलदार वृक्षों आम व अमरूद वृक्षों की अपेक्षा अधिक होती है। फैलावदार न होने के कारण वह जगह भी कम घेरता है। जड़ों का फैलाव ऊपरी सतह पर नहीं होने से खेतों की जुताई में दिक्कतें नहीं आती हैं। आम व अमरूद के मुकाबले इस वृक्ष की छाया भी कम होती है। इस कारण पापुलर के वृक्ष लगाने से काटने तक उसके बाग में हर वर्ष आसानी से खेती करके पूर्ण उपज ली जा सकती है। पापुलर की यह भी खासियत है कि यह छह से सात वर्ष की कम अवधि में ही परिपक्व हो जाता है।
पापुलर के बाग में पहले वर्ष गन्ने की फसल बोनी चाहिए, क्योंकि गन्ने की फसल एक बार बो कर उसकी लगातार तीन फसलें आसानी से ली जा सकती हैं। चौथे वर्ष में गेहूं की फसल लें। बाद के दो-तीन वर्षो में जब पौधे छायादार हो जाएं, तब पापुलर के बाग में हल्दी की खेती करनी चाहिए। हल्दी की खेती वृक्षों की छाया में भी पर्याप्त उपज देती है। इससे किसानों को दोहरा लाभ होता है। किसानों को पापुलर के पेड़ों से भी आमदानी होती है और पापुलर के बाग में बोई गई फसलों से भी।
- सी तिवारी, प्रभारी, कृषि विज्ञान केंद्र, काशीपुर
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