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    रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों का कमाल, रामनगर की 55 वर्षीय महिला की बच्चेदानी से निकाला 6 किलो का ट्यूमर

    By Jagran NewsEdited By: Rajesh Verma
    Updated: Fri, 04 Nov 2022 09:49 PM (IST)

    Rudrapur medical college मेडिकल कालेज के प्राचार्य व सर्जन डा. केदार सिंह शाही ने बताया कि महिलाओं की बच्चेदानी में ट्यूमर होना अब आम बात हो गई है। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को खासकर जागरूकता दिखाते हुए पेट दर्द के प्रति सचेत रहने की जरूरत है।

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    जटिल आपरेशन लगातार मेडिकल कालेज की सर्जरी विभाग की तरफ से किए जा रहे हैं।

    जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : Rudrapur medical college : रामनगर से पेट दर्द की शिकायत लेकर रुद्रपुर मेडिकल कालेज पहुंची 55 वर्षीय महिला की बच्चेदानी से छह किलो का ट्यूमर ( tumor in uterus) निकाला गया। महिला पूरी तरह स्वस्थ है। इस तरह के जटिल आपरेशन लगातार मेडिकल कालेज की सर्जरी विभाग की तरफ से किए जा रहे हैं।

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    पेट दर्द के प्रति सचेत रहने की जरूरत

    मेडिकल कालेज के प्राचार्य व सर्जन डा. केदार सिंह शाही ने बताया कि शनिवार को जरूरी जांचों के बाद उन्होंने महिला के पेट आपरेशन का निर्णय लिया। डा. शाही ने कहा कि महिलाओं की बच्चेदानी में ट्यूमर होना अब आम बात हो गई है। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को खासकर जागरूकता दिखाते हुए पेट दर्द के प्रति सचेत रहने की जरूरत है। समय पर यदि ट्यूमर का आपरेशन न किया जाए तो यह जानलेवा हो सकता है।

    लगातार पहुंच रहे मरीज

    मेडिकल कालेज में इस तरह के मरीज लगातार आ रहे हैं। उनको बेहतर सलाह व दवाएं दी जा रही है। प्राचार्य का कहना था कि मेडिकल कालेज में ओपीडी लगातार बेहतर हो रही है। रोजाना लगभग 300 मरीज दिखाने पहुंच रहे हैं।

    जानें क्या होते हैं बच्चेदानी में ट्यूमर के लक्षण

    • पेट में दर्द, थकान व कमजोरी होना।
    • पीठ के निचले हिस्से में लगातार दर्द रहना।
    • मोनोपाज के बाद अचानक ब्लीडिंग शुरू हो जाना।
    • यूरिन के साथ खून आना, यूरिन पर बिल्कुल नियंत्रण न कर पाना।
    • मल त्याग के समय दर्द होना, ट्यूटर छोटी आंत, पेट व मूत्राशय पर दबाव डालती है।

    क्यों हो जाता है बच्चेदानी में ट्यूमर

    इस बीमारी को चॉकलेट सिस्ट (chocolate cyst) के नाम से भी जाना जाता है। ओवरी यानी अंडाशय के अंदर होने वाला यह सिस्ट (गांठ) भूरे रंग का होता है। खून के थक्के इक्कठे होकर गांठ की शक्ल ले लेते हैं, जो अपनी जगह बदलता रहता है। इसके होने के ये प्रमुख कारण हैं।

    • अबॉर्शन : कई बार अनचाहा गर्भ या किन्हीं कारणों से अबॉर्शन करवाने के बाद इस ट्यूमर का खतरा हो सकता है।
    • बिनाइन प्रॉलीफरेशन : इंज्यूरी के समय जब यूट्रस की कोशिकाएं बढ़ती हैं, तो कई बार वे ओवर ग्रो कर जाती हैं, जिससे ये ट्यूमर होने के खतरे बढ़ जाते हैं।