पहली बार साहसिक गतिविधियों में ट्रैकिंग पर रवाना हुए 25 युवा, जानेंगे पहाड़ी संस्कृति और करेंगे देवभूमि दर्शन
25 युवाओं का एक दल पहली बार ट्रैकिंग के लिए रवाना हुआ है। इस साहसिक यात्रा में वे पहाड़ी संस्कृति का अनुभव करेंगे और देवभूमि के दर्शन करेंगे। ट्रैकिंग के दौरान, उन्हें स्थानीय परंपराओं को समझने और विभिन्न धार्मिक स्थलों का दौरा करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास होगा।

नंदा राज जात यात्रा ट्रैक पर जानेंगे पहाड़ी संस्कृति, करेंगे देवभूमि दर्शन. Concept Photo
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर । कुमाऊं के मैदानी क्षेत्र के युवाओं को देवभूमि के दर्शन और पहाड़ी संस्कृति को और नजदीक से देखने और समझने के लिए युवा कल्याण विभाग की ओर से 25 सदस्यीय पहली दल को रवाना किया जा चुका है। इन युवाओं को गढ़वाल मंडल के ऊंचे हिमालयी पर्वत पर रोमांचक ट्रैकिंग कराया जाएगा। इस दौरान उन्हें कैंपिंग करने, पर्वतीय वादियों में स्थित जगह-जगह गांव में पड़ाव कर वहां की लोक संस्कृति, खान-पान सहित विभिन्न प्रकार की बारे में रूबरू होंगे।
युवा कल्याण विभाग का फोकस ग्रामीण क्षेत्रों पर अधिक होता है। चाहे, पर्वतीय क्षेत्र हो या फिर मैदानी। खेल से लेकर रोजगार परक शिक्षा हो, चाहे स्वरोगार के लिए प्रोत्साहन योजना। इन सब के साथ इसी विभाग में युवाओं को साहसिक गतिविधियां और प्रशिक्षण भी दिया जाता है। जिसमें अब तक राफ्टिंग ही प्रमुख था, लेकिन अब इसके फेरबदल हुआ है। कुछ नए इवेंट भी शामिल हुए हैं।
इसी क्रम में पर्वतीय संस्कृति को जानने और उसके साथ ट्रैकिंग का प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है। इन गतिविधियों के अंतर्गत पहले चरण में कुमाऊं मंडल के मैदानी क्षेत्र के युवाओं का चयन किया गया है। जिसमें ऊधम सिंह नगर के विभिन्न विकास खंडों के 20 युवाओं को चयनित किया गया। उनके फिटनेस और मेडिकल के बाद उन्हें 10 से 15 दिन का कैंप के लिए शनिवार काे रवाना किया गया है। चयनित युवाओं को विभाग की ओर से ही पहले ट्रेन, या बस से गढ़वाल मंडल तक ले जाया जाएगा।
इसके बाद ट्रैकिंग रूट नंदा राजजात यात्रा मार्ग पर करीब 50-60 किलोमीटर का ट्रैक करेंगे। उनके साथ प्रशिक्षित पर्वतीय गाइड के साथ ही क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी भी शामिल हैं। जिला युवा कल्याण अधिकारी बीएस रावत ने बताया कि बीच-बीच में कई जगह पहाड़ के गांवों में, पर्यटन पड़ाव पर कैंप होंगे। जहां स्थानीय संस्कृति, खान पान आदि की संपूर्ण जानकारी भी उन्हें मिलेगी। सितंबर से युवाओं के चयन करने की प्रक्रिया भी शुरू होगी।
ट्रैकिंग प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य
विभागीय अधिकारियों के अनुसार युवाओं में साहसिक गतिविधियों को बढ़ाने का मुख्य उद्देश्य है। इसके अलावा मैदानी क्षेत्र के युवा अभी भी पर्वतीय संस्कृति से वाकिफ नहीं है। वहां का रहन सहन, धार्मिक अनुष्ठान, खान-पान, औषधि और बहुत सी चीजें हैं, जिससे वह अनभिज्ञ हैं।
ट्रैक के दौरान उपकरण से लेकर खाना, रहना सब विभाग की जिम्मेदारी
इस यात्रा के दौरान विभाग अपनी पूरी तैयारी से रहेगा। चयनित युवाओं का सारा खर्च विभाग वहन करेगा। इस दौरान ट्रैकिंग के लिए उपकरण, कैंपिंग, रहना, खाना सब निश्शुल्क होगा।
प्रशिक्षित गाइड, पहाड़ के जानकार भी
प्रशिक्षण एवं यात्रा के दौरान टीम में ट्रैकिंग एक्सपर्ट, विभागीय अधिकारी, पर्वतीय संस्कृति का ज्ञान रखने वाला व्यक्ति और चिकित्सीय टीम भी शामिल है। जिससे ट्रैकिंग के दाैरान उन्हें रोमांच के साथ ही उन्हें संपूर्ण जानकारी भी मिल सके।
हिमालय के चयनित ट्रैक पर ही ट्रैकिंग
चयनित युवाओं को राष्ट्रीय स्तर पर चयन किए गए ट्रैक पर ही ले जाया जाएगा। ये ऐसे रास्ते होंगे, जो ट्रैकिंग के लिए ही जाने जाते हैं और पूर्व में यहां कई देशी और विदेशियों ने ट्रैक पहले से ही कर चुके होंगे।
ये युवा चयनित
अंकुर कुमार, गोविंद, सौरभ कुमार, मिथुन विश्वास, सुूभाष चंद्र, दीपक गाईन, करन कोली, सुमित कुमार, विक्की गौतम, हिमांशु बिष्ट, पृथ्वीराज सिंह चौहान, पवनदीप सिंह, सूरज हवलदार, ललित चंद, प्रियांशू अधिकारी, आदित्य सिंह राणा, राहुल सैनी, वरूण सिंह, गौरव गिरी व मोहन काेली। इसके अलावा स्टाफ में क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी यशवंत कुमार, नवीन चंद्र, मुकेश गौड़, खेल प्रशिक्षक शुभम विश्वास।
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