Tehri Riyasat: टिहरी रियासत को कैसे मिली असली आजादी, यहां पढ़ें विलय की पूरी कहानी
देश को आजादी 1947 में मिली लेकिन टिहरी रियासत की जनता को आजादी के लिए दो साल इंतजार करना पड़ा। भारतीय संघ में टिहरी रियासत का विलय में वर्ष 1949 में हुआ था। नरेंद्रनगर में टिहरी महाराज और भारत सरकार के बीच समझौता हुआ था।
अनुराग उनियाल, नई टिहरी । देश को आजादी 15 अगस्त 1947 में मिली, लेकिन टिहरी रियासत (Tehri Estate) की जनता को आजादी के लिए दो साल इंतजार करना पड़ा। टिहरी महाराज और भारत सरकार के बीच एक अगस्त 1949 को नरेंद्रनगर में विलय पत्र पर हस्ताक्षर हुए। इसके बाद ही टिहरी रियासत विधिवत रूप में भारतीय संघ का हिस्सा बनी।
वर्ष 1815 में टिहरी नगर को बनाया राजधानी
एक अगस्त 1949 का दिन टिहरी रियासत के लिए असली आजादी का दिन है। 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ, तब टिहरी गढ़वाल में राजशाही के अधीन था। वर्ष 1815 में महाराज सुदर्शन शाह ने टिहरी नगर को अपनी राजधानी बनाया।
मानवेंद्र शाह टिहरी के आखिरी महाराज
इसके बाद उनके उत्तराधिकारी महाराज प्रताप शाह, कीर्ति शाह व नरेंद्र शाह का शासन चला। 25 अक्टूबर 1946 को महाराज मानवेंद्र शाह टिहरी के आखिरी महाराज बने। उनके राज्याभिषेक के कुछ समय बाद ही देश आजाद हो गया। इसके साथ ही टिहरी (Tehri) में भी रियासत से मुक्ति के लिए संघर्ष तेज हो गया।
एक अगस्त 1949 को टिहरी भारतीय संघ में विलय
16 जनवरी 1948 को टिहरी रियासत के विरुद्ध आवाज उठाने वाले क्रांतिकारियों ने राजधानी टिहरी पर कब्जा कर लिया। इसके बाद भारत सरकार ने भी टिहरी रियासत में शांति व्यवस्था के लिए विलय की प्रक्रिया शुरू कर दी और एक अगस्त 1949 को टिहरी रियासत का भारतीय संघ में विलय कर दिया गया।
तत्कालीन संयुक्त प्रांत के प्रमुख गोविंद बल्लभ पंत (Govind Ballabh Pant) की उपस्थिति में राजकीय इंटर कालेज नरेंद्रनगर के मैदान में विलय के निमित्त कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें टिहरी रियासत के महाराज मानवेंद्र शाह और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में विलयीकरण समझौता हुआ।
इस दौरान टिहरी रियासत की सेना ने प्रांत प्रमुख गोविंद बल्लभ पंत को गार्ड आफ आनर दिया और वहां पर तिरंगा भी फहराया गया। टिहरी राजशाही पर शोध करने वाले इतिहासकार राजू गुसाईं बताते हैं कि टिहरी रियासत के विलय के दौरान का वीडियो भारतीय फिल्म डिवीजन (Indian Film Division) के पास सुरक्षित है।
उसे लच्छीवाला (देहरादून) पिकनिक स्पाट के म्यूजियम में पर्यटकों को भी दिखाया जाता है, ताकि वे टिहरी राजशाही के इतिहास से परिचित हो सकें।