चंबा में तीन दिवसीय वीसी गबर सिंह मेला शुरू
संवाद सहयोगी नई टिहरी प्रथम विश्व युद्ध के नायक विक्टोरिया क्रास वीसी) शहीद गबर सिंह नेगी क ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, नई टिहरी : प्रथम विश्व युद्ध के नायक विक्टोरिया क्रास वीसी) शहीद गबर सिंह नेगी की जन्मदिवस पर तीन दिवसीय मेला शुरू हो गया है। इस मौके पर सेना के जवानों, पूर्व सैनिकों और वरिष्ठ नागरिकों ने शहीद स्मारक पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा हंस फाउंडेशन ने मेले को गोद लिया।
गुरुवार को सबसे पहले शहीद गबर सिंह नेगी के पैतृक गांव मंजूड़ के लोग ढोल दमाऊं के साथ स्मारक स्थल पर पहुंचे और वहां पूजा अर्चना कर शहीद को श्रद्धांजलि दी। उसके बाद लैंसडाउन से आए सेना के जवानों सूबेदार जोत सिंह, नायब सूबेदार सुदर्शन ने स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित किए। क्षेत्रीय विधायक किशोर उपाध्याय, नगर पालिका अध्यक्ष सुमना रमोला, हंस फाउंडेशन के प्रतिनिधि विकास वर्मा आदि ने शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर उनका भावपूर्ण स्मरण किया। शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि समारोह के बाद श्रीदेव सुमन राजकीय इंटर कालेज चंबा के प्रांगण में मेले का विधिवत उद्घाटन किया गया। उद्घाटन नगरपालिका अध्यक्ष सुमना रमोला, ब्लाक प्रमुख शिवानी बिष्ट, हंस फाउंडेशन की प्रतिनिधि विकास वर्मा द्वारा रिबन काटकर संयुक्त रूप से किया गया। इस मौके पर मेला समिति के अध्यक्ष इंद्र सिंह नेगी ने तीन दिवसीय मेले की रूपरेखा बताई। इस मौके पर हंस फाउंडेशन के के प्रतिनिधि विकास वर्मा ने कहा कि शहीद गबर सिंह नेगी मेले को हंस फाउंडेशन के द्वारा गोद लिया गया है और आगामी वर्षो मैं फाउंडेशन द्वारा मेले को नई ऊंचाइयों प्रदान की जाएगी। इसके अलावा क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को लेकर कार्य किए जाएंगे। मेला समिति की ओर से नगर के व्यापारी पंकज बहुगुणा को और सेना मेडल एवरेस्ट विजेता विजेंद्र सिंह नेगी को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में सभासद शक्ति प्रसाद जोशी, व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष संजय बहुगुणा, बिशन सिंह भंडारी, सेवानिवृत्त कैप्टन आनंद सिंह नेगी, कवि सोमवारी लाल सकलानी निशांत, प्रधान मंजूड़ कुसुम नेगी आदि मौजूद थे। बलिदानी का संक्षिप्त जीवन एवं कर्म परिचय
वीर सपूत गबर सिंह का जन्म प्रखंड चंबा के नजदीकी मज्यूड़ गांव में 1895 को हुआ था। इनके पिता बद्री सिंह नेगी एक साधारण किसान थे और माता साबित्री देवी गृहणी थी। कम आयु में ही वर्ष 1911 में इन्होंने टिहरी नरेश के प्रतापनगर स्थित राजमहल में नौकरी करनी शुरू कर दी। एक साल बाद 1912 में इनकी शादी मखलोगी पट्टी के छाती गांव की शतूरी देवी से हुई। गबर सिंह नेगी राजमहल में नौकरी तो कर रहे थे लेकिन मन में क्रांतिकारी विचार आ रहे थे। ठीक उसी समय प्रथम विश्वयुद्ध की आशंका से फौज में भर्ती होने का दौर भी शुरू हुआ। गबर सिंह को आरंभ से ही फौजी वर्दी व सेना मे भर्ती होने का लगाव था। फौजी जीवन के सफर के बाद प्रथम विश्वयुद्ध से उनकी ऐतिहासिक गौरवगाथा शुरू हुई। गबर सिंह इसी मौके की तलाश में थे। वे सेना में भर्ती होने के लिए लैंसडान जा पहुंचे और 20 अक्टूबर 1913 में गढ़वाल रेजीमेंट की 2/39 बटालियन में बतौर राइफलमैन भर्ती हो गये। उसके तुरंत बाद विश्वयुद्ध शुरू हो गया। दुश्मन की गोलेबारी के कारण बड़ी संख्या मे सैन्य अधिकारी व सैनिक हताहत हुए। इस युद्ध में 250 सैनिक तथा 20 सैन्य अधिकारी बलिदान हुए।

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