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    तीन मासूमों को निवाला बनाने वाला गुलदार ढेर, दहशत के चलते स्कूलों को करवाना पड़ा था

    उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में पिछले चार महीनों से आतंक का पर्याय बना नरभक्षी गुलदार आखिरकार वन विभाग के शिकारी दल द्वारा ढेर कर दिया गया। इस गुलदार ने क्षेत्र के अलग-अलग गांवों में तीन मासूमों को अपना निवाला बनाया था। दहशत के चलते क्षेत्र के स्कूलों को बंद करवाना पड़ा था। वन विभाग की टीमें तीन अक्टूबर से ही गुलदार को पकड़ने के लिए जाल बिछाए हुए थी।

    By Anurag uniyal Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Wed, 27 Nov 2024 07:21 PM (IST)
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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। जागरण

    संवाद सूत्र, घनसाली (नई टिहरी)। भिलंगना ब्लाक के पट्टी हिंदाव के गांवों में आतंक का प्रयाय बने नरभक्षी गुलदार को वन विभाग के शिकारी दल ने ढेर कर दिया है। गुलदार ने पिछले चार महीने में क्षेत्र के अलग-अलग गांवों में तीन मासूमों को निवाला बनाया था।

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    इसकी दहशत के चलते क्षेत्र के स्कूलों को बंद करवाना पड़ा था। गुलदार वन विभाग के लिए भी चुनौती बना था। विभाग की टीमें तीन अक्टूबर से यहां डेरा डाले हुए थी। टीम ने 20 ट्रैप कैमरे, छह शिकारी दल और 30 सदस्यीय अन्य टीम को लगा रखा था।

    तीन मासूमों की जान जाने के बाद आमजन में वन विभाग के प्रति आक्रोश बना था। वन विभाग ने भी गुलदार को पकड़ने या मारने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। तीन अक्टूबर से शिकारी दल और वन विभाग की टीम लगातार इस क्षेत्र में तैनात थी।

    वन विभाग ने भौंण गांव के कोटी तोक में गुलदार को मारने के लिए मचान बनाया था। मंगलवार की रात करीब नौ बजे जैसे ही गुलदार कोटी के पास पहुंचा शिकारी जहीर बख्शी ने उस पर गोली चला दी। गुलदार दो गालियों में ही ढेर हो गया। सात साल की इस मादा गुलदार के शव को घनसाली वन चौकी लाया गया।

    पोस्टमार्टम के बाद शव को जला दिया गया। विभाग का दावा है कि ट्रैप कैमरे और पंजों से पता चला है कि यह वही गुलदार था जो चार महीने से क्षेत्र में दिखाई दे रहा था। यह चोटिल भी था। इस कारण उसे भागने का मौका नहीं मिल पाया।

    साहिया में गुलदार ने कुत्ते को बनाया निवाला

    गुलदार का आतंक साहिया में भी पिछले एक साल से बना हुआ है, इस घटना के एक दिन पहले साहिया में गुलदार ने एक कुत्ते को निशाना बनाया था, जहां गौपालकों ने किसी तरह भाग कर जान बचाई थी। मंगलवार को गोशाला से कुछ दूरी पर गुलदार झपट पड़ा, गोपालकों ने भागकर बामुश्किल जान बचाई। लेकिन, एक कुत्ते को गुलदार उठा ले गया।

    पिछले एक साल से गोसेवा समिति और ग्रामीण गुलदार को कैद करने के लिए पिंजरा लगाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन वन विभाग समस्या को हल करने के प्रति लापरवाह बना हुआ है। मंगलवार को करीब दो बजे चरखेत से कुछ दूर गोपालक गायों को चराने ले गए। उनके साथ एक कुत्ता भी था।

    गोपालक गुमान दास और महेंद्र राठौर एक जगह बैठे हुए थे, तभी अचानक गुलदार दिखाई दिया। गुलदार उनके सामने ही कुत्ते को उठा ले गया। उन्होंने गुलदार को भगाने की कोशिश की तो गुलदार झपटा, जिस पर दोनों गो पालकों ने भागकर जान बचाई। गायें भी पशुपालकों के पीछे दौड़ कर जंगल से बाहर आ गई। गुलदार की दस्तक से ग्रामीणों में दहशत है।