भारतीय ग्रिड से जल्द जुडेंगी टिहरी PAP की दो यूनिट, परियोजना में अब तक खर्च हुए 8000 करोड़
टिहरी बांध परियोजना पर 1000 मेगावाट क्षमता वाले देश के प्रथम वेरिएबल पंप स्टोरेज प्लांट (PSP) का काम अंतिम चरण में है। चार यूनिट में से पहली और दूसरी यूनिट (250-250 मेगावाट) भारतीय ग्रिड से जुड़कर उत्पादन कर रही हैं, जबकि बाकी दो यूनिटों (500 मेगावाट) का कार्य विश्वस्तरीय विशेषज्ञों की देखरेख में जारी है और शीघ्र ही इन्हें भी ग्रिड से जोड़ा जाएगा।

जागरण संवाददाता, नई टिहरी। टिहरी बांध परियोजना पर 1000 मेगावाट क्षमता वाले देश के प्रथम वेरिएबल पंप स्टोरेज प्लांट (पीएसपी) का कार्य लगभग अंतिम चरण में है। पीएसपी की चार यूनिट में से 250-250 मेगावाट क्षमता की पहली व दूसरी यूनिट सफलतापूर्वक भारतीय ग्रिड से जुड़कर उत्पादन कर रही हैं। अन्य 500 मेगावाट की दो यूनिटों का कार्य भी विश्वस्तर के विशेषज्ञों की देखरेख में गतिमान है। शीघ्र ही इन्हें भारतीय ग्रिड से जोड़ दिया जाएगा।
कोटी कालोनी अतिथिगृह में सोमवार को टीएचडीसी के टिहरी कांप्लेक्स के मुख्य महाप्रबंधक एमके सिंह ने पत्रकारों को यह जानकारी दी। बताया कि टीएचडीसी का पंप स्टोरेज प्लांट न केवल तकनीकी, बल्कि पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह देश को कोयले पर निर्भरता कम करने, कार्बन उत्सर्जन घटाने और हरित विकास की ओर ले जा रही है।
आर्थिक गतिविधियों को उल्लेखनीय रूप से दिया बढ़ावा
परियोजना से जुड़ी व्यापक निर्माण गतिविधियों ने क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को उल्लेखनीय रूप से बढ़ावा दिया है। साथ ही परियोजना ने रोजगार के हजारों प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष अवसर पैदा किए हैं। पीएसपी परियोजना से स्थानीय व्यवसायियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। निर्माण सामग्री, परिवहन, आवास, खाद्य सेवाओं और अन्य सहायक उद्योगों की मांग ने परियोजना स्थल के आसपास एक समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया है, जिसे दीर्घकालिक आर्थिकी का सर्वोत्तम माडल माना जा सकता है।
बताया कि देश ने वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का संकल्प लिया है। पंप स्टोरेज परियोजनाएं हमारे ग्रिड को आवश्यक फ्लेक्सिबिलिटी व स्थिरता में अपना सहयोग प्रदान करेंगी। बताया कि पंप स्टोरेज पावर प्लांट क्लोज्ड लूप प्रणाली पर कार्य करता है और पानी की खपत नहीं करता।
ऊपरी जलाशय से छोड़ा जाता है पानी
इन संयंत्रों में समान मात्रा का पानी ऊपरी और निचले जलाशयों के बीच साइक्लिक रूप से प्रवाहित होता है। उच्च मांग के समय बिजली उत्पादन के लिए ऊपरी जलाशय से पानी छोड़ा जाता है और कम मांग के समय उसे दोबारा पंप करके ऊपर जलाशय में वापस भेजा जाता है। इस तरह पीएसपी प्राकृतिक जल संसाधनों की खपत नहीं करता है, बल्कि केवल पानी का रिसाइकल करता है।
मुख्य महाप्रबंधक ने बताया कि परियोजना के पूर्ण होने पर उत्तरी क्षेत्र की विद्युत उत्पादन क्षमता में 1000 मेगावाट (वार्षिक उत्पादन लगभग 2,442 मिलियन यूनिट) की बढ़ोतरी होगी और ग्रिड स्थिरता, सुरक्षा, विश्वसनीयता में भी सुधार होगा। बताया कि पीएसपी निर्माण पर अब तक लगभग 8000 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।
वर्तमान में संचालित दो यूनिटों से प्रतिदिन प्रति यूनिट करीब एक करोड़ रुपये का राजस्व टीएचडीसी को मिल रहा है। इस मौके पर महाप्रबंधक पीएसपी एके साहू, उपमहाप्रबंधक एचआर मोहन सिंह, उपमहाप्रबंधक पीएसपी आशीष ममगाईं, प्रबंधक जनसंपर्क एवं मानव संसाधन मनवीर सिंह नेगी, प्रबंधक दीपक उनियाल आदि मौजूद रहे।

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