उत्तराखंड में बरात घर में चल रहे सरकारी स्कूल, पहाड़ों पर चौंकाने वाले शिक्षा के हालात
टिहरी गढ़वाल में सरकारी स्कूलों की हालत चिंताजनक है। छात्र संख्या कम होने के कारण कई प्राथमिक और जूनियर विद्यालय पंचायत भवनों या बरातघरों में चल रहे हैं। कुछ विद्यालय तो पांच सालों से अपने भवन का इंतजार कर रहे हैं। छात्र संख्या कम होने से नए भवनों का निर्माण भी बाधित हो रहा है जिससे छात्रों और ग्रामीणों को परेशानी हो रही है।

संवाद सहयोगी जागरण, नई टिहरी। लाख दावों के बाद भी सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के बजाए और बिगड़ती जा रही है। बुनियादी स्कूलों की हालत ऐसी है कि न तो स्कूलों में छात्र संख्या है और न ही भवन।
भवनों के अभाव में जिले के करीब दस प्राथमिक च जूनियर विद्यालय पंचायत भवन, बरातघर या अन्य विद्यालयों में संचालित हो रहे है। इनमें से कुछ विद्यालय के पांच साल बीतने के बाद भी अपने भवन नहीं बन पाए। जो स्कूल दूसरे भवनों में संचालित हो रह हैं, उनमें से अधिकांश विद्यालयों की छात्र संख्या दस से कम है। जिस कारण भवन निर्माण में भी दिक्कतें आ रही है।
जिले के दस प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं जो वर्षों से भवनों की राह ताक रहे हैं। भवनों के अभाव में विद्यालय पंचायत घर, बरात घर या अन्य विद्यालयों में संचालित हो रहे हैं। इनमें कुछ विद्यालय ऐसे हैं जो करीब पांच सालों से दूसरे भवनों में संचालित हो रहे है।
प्राथमिक विद्यालयों की हालत सुधरने के बजाए दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। स्थिति यह है जिले में अधिकांश प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्या शून्य होने के चलते स्कूल बंद कर दिए गए है। कुछ विद्यालय ऐसे हैं, जिनके भवन पूर्व में जीर्णशीर्ण हो गए थे और उन विद्यालयों के छात्रों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया था। इनमें कई विद्यालय ऐसे हैं, जिन्हें पांच साल बीतने के बाद भी अपना भवन नहीं मिल पाया है।
विद्यालय पंचायत भवन या अन्य जगह संचालित होने से छात्रों को जगह की कमी के अलावा अन्य समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा है। जो प्राथमिक व जूनियर विद्यालय अन्य जगहों पर संचालित हो रहे हैं, उनके भवन न बनने का एक कारण यह भी है कि यहां पर छात्र संख्या कम है।
मानकों के अनुसार छात्र संख्या न होने के कारण स्कूल भवन बनने में दिक्कतें आ रही है। लेकिन सवाल यह भी कि यदि इन विद्यालयों के अपने भवन नहीं बन पा रहे हैं तो इनके लिए कोई ठोस व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है।
इन विद्यालयों को दूसरे स्कूलों में भी मर्ज किया जा सकता है। लेकिन कई विद्यालय अभी भी पंचायत भवनों, बरातघर या अन्य जगहों पर संचालित हो रहे है। पंचायत घरों में स्कूल संचालित होने से ग्रामीणों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
करीब दस विद्यालय भवन ऐसे हैं जो पंचायत या अन्य भवनों में संचालित हो रहे है। इनमें से कुछ भवनों के निर्माण के लिए निदेशालय को प्रस्ताव भेजा गया है। - एनके हल्दियान, जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक।
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