कलियुग में भगवान श्रीराम की अद्भुत भक्ति, 94 वर्ष की उम्र में 80 लाख बार लिख चुकी हैं राम नाम; बताई इसकी महिमा
Mantha Subbalakshmi दादी मां मंथा सुब्बालक्ष्मी का जन्म उड़ीसा में एक विद्वान परिवार में हुआ। उन्होंने बचपन से अभी तक 80 लाख से अधिक बार राम नाम लेखन पूरा कर दिया है। उम्मीद है कि जल्द ही वह एक करोड़ से अधिक बार राम नाम का लेखन पूरा कर देंगी। हर जगह उनके इस कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है।

टीम जागरण, चंबा: Mantha Subbalakshmi: कलियुग में रामनाम का जाप ही बेड़ापार कर देता है। उत्तराखंड के टिहरी जिले में चंबा के समीप काणाताल के विजयमिलन मठ में आश्रम में रह रही 94 वर्षीय मंथा सुब्बालक्ष्मी ने रामनाम की भक्ति में ऐसा कुछ कर दिया है कि हर जगह उनके इस कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है। वहीं उन्होंने रामनाम की महिमा भी बताई है।
उड़ीसा में एक विद्वान परिवार में हुआ मंथा सुब्बालक्ष्मी का जन्म
उन्होंने बचपन से अभी तक 80 लाख से अधिक बार राम नाम लेखन पूरा कर दिया है। उम्मीद है कि जल्द ही वह एक करोड़ से अधिक बार राम नाम का लेखन पूरा कर देंगी। दादी मां मंथा सुब्बालक्ष्मी का जन्म उड़ीसा में एक विद्वान परिवार में हुआ।
आध्यात्मिक शिविर में मिली राम नाम लेखन की प्रेरणा
आध्यात्मिक और धार्मिक परिवार में पली-बढ़ी मंथा सुब्बालक्ष्मी को बचपन में आंध्र प्रदेश में लगने वाले आध्यात्मिक शिविर में राम नाम लेखन की प्रेरणा मिली। उनके पति स्वगीय सर्वेश्वर शास्त्री भी भगवन्नाम जपते थे। 94 साल की उम्र में भी दादी मां का राम नाम लेखन आज भी रोजाना चलता रहता है।
पिछले कुछ महीनों से चंबा में रह रही हैं मंथा सुब्बालक्ष्मी
वह नाम लेखन के महत्व को बताते हुए कहती हैं कि कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उत रही पारा। अर्थात सतयुग में तप-त्रेतायुग में यज्ञ, योग और द्वापर में जो फल पूजा पाठ और कर्मकांड से मिलता था वही फल कलियुग में मात्र हरि नाम जप या नाम लेखन से मिल जाता है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य की भलाई इसी में है कि वह निरंतर राम नाम का जप करे। हर किसी को श्रीराम नाम का लेखन करना चाहिए। वह पिछले कुछ महीनों से वह चंबा में रह रही हैं।
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