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    उत्‍तराखंड के इस जिले के गांवों में गुलदार का आतंक, अक्‍सर लग जाता है कर्फ्यू; शाम ढलते ही हो जाते हैं वीरान

    Leopard Terror प्रतापनगर के गांवों में तो गुलदार का मानो कर्फ्यू लगा हुआ है। घनसाली के कुछ गांवों में भी गुलदार की दहशत बनी है। गुलदार के भय से बच्चे भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं इसके लिए गांवों में अभिभावकों की ड्यूटी लगी हुई है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले पौड़ी जनपद के कई क्षेत्रों में इन दिनों गुलदार का आतंक बना हुआ है।

    By Anurag uniyalEdited By: Nirmala BohraUpdated: Mon, 03 Jul 2023 09:17 AM (IST)
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    Leopard Terror: गुलदार का आतंक इस कदर छाया है कि सूरज ढलते ही ग्रामीणों के दरवाजे बंद हो जाते हैं

    संवाद सहयोगी, नई टिहरी: Leopard Terror: जिले के प्रतापनगर सहित अन्य जगहों पर गुलदार का आतंक बना हुआ है। प्रतापनगर के गांवों में तो गुलदार का मानो कर्फ्यू लगा हुआ है। घनसाली के कुछ गांवों में भी गुलदार की दहशत बनी है।

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    गुलदार का आतंक इस कदर छाया है कि सूरज ढलते ही ग्रामीणों के दरवाजे बंद हो जाते हैं और गांव में वीरानी छा जाती है। गुलदार के भय से बच्चे भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, इसके लिए गांवों में अभिभावकों की ड्यूटी लगी हुई है। स्थिति यह हो रखी है कि गई गांवों में सांय होते ही गुलदार को भगाने के लिए ग्रामीणों को रात तक कनस्तर बजाना पड़ रहा है।

    विभिन्न गांवों में गुलदार का भय

    जिले के विभिन्न गांवों में गुलदार का भय बना हुआ है। प्रतापनगर के बौंसाड़ी गांव में अभी कुछ दिन पहले सांय को अपने नातियों के साथ आंगन में टहल रही महिला पर गुलदार ने हमला कर दिया। महिला के चिल्लाने पर घर के सदस्य भी बाहर भागे, जिससे गुलदार भाग निकला और बच्चों की जान भी बच गई। वहीं ब्लाक के भरपूरिया गांव में गुलदार दिनदहाड़े आ धमका, जिससे गांव में दहशत बन गई। सांय होते ही यहां ग्रामीण घरों में कैद हो जाते हैं।

    इसी तरह भिलंगना ब्लाक के नैलचामी व गोनगढ़ पट्टी में भी गुलदार के आतंक से ग्रामीणों का इधर-उधर जाना मुश्किल हो गया है। नैलचामी में पिछले दो सप्ताह से गुलदार की का आतंक बना है। एक जुलाई को स्कूल खुलने के बाद गुलदार के भय से इन गांवों में पचास प्रतिशत से भी कम बच्चे स्कूल गए।

    ग्रामीण भी अकेले इधर-उधर नहीं जा पा रहे हैं। वहीं महिलाओं ने भी इन दिनों खेतीबाड़ी का काम भी बंद कर दिया है। कोरोना के भय से भी लोग इतना नहीं सहमे थे, जितना की गुलदार के आतंक से। कुछ समय पहले चंबा के जड़धार गांव में भी गुलदार की दहशत बनी थी।

    प्रतापनगर के गांवों में दो सप्ताह से भी ज्यादा समय से गुलदार का आतंक है। यहां पर पिंजरा लगाने के साथ ही टीम तैनात की गई, लेकिन गुलदार पकड़ में नहीं आया। जखन्याली की प्रधान ऋषिता श्रीयाल, मीना अंथवाल ने गुलदार के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है।

    इन गांवों में गुलदार का आतंक

    बौंसाड़ी, गोदड़ी, भरपुर गांव, आबकी, लिखवार गांव, खिट्टा, बिजपुर, रगड़ी, म्यार, तोणखंड, मंजियाड़ी, जखन्याली।

    जहां पर गुलदार का ज्यादा आतंक है वहां पर विभाग की नियमित गश्त के साथ ही पिंजरा लगाया गया है। साथ ही ग्रामीणों को भी जागरूक किया जा रहा है। ऐसे जहां पर रेंज अधिकारी भी बराबर नजर रखे हुए हैं और कुछ समय बाद मैं भी स्वयं इन जगहों पर जाऊंगा।

    - पुनीत तोमर, प्रभागीय वनाधिकारी टिहरी वन प्रभाग

    पौड़ी में आबादी क्षेत्र में धमक रहा गुलदार, दहशत बरकरार

    विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले पौड़ी जनपद के कई क्षेत्रों में इन दिनों गुलदार का आतंक बना हुआ है। चिंतनीय यह पहलू यह है कि गुलदार सायं ढ़लते ही नहीं बल्कि भरी दोपहर में ही कई बार आबादी वाले क्षेत्रों में धमक रहा है।

    एक वर्ष के भीतर ही गुलदार विभिन्न क्षेत्रों में पांच लोगों को अपना निवाला बना चुका है जबकि 28 लोग घायल भी हुए। ऐसे में कब जंगली जानवर और मानव के बीच चल रहे संघर्ष से निजात मिलेगी, कहा नहीं जा सकता। पहले पौड़ी शहर की ही बात करें तो यहां के शिक्षा परिसर से सटे क्षेत्र में इन दिनों दो-दो गुलदार दिखाई दिए।

    चिंतनीय यह कि आबादी क्षेत्र में गुलदार दिखाई देने की यह घटना भरी दोपहर की है। जबकि बुआखाल- मांडखाल में साएं ढ़लते ही गुलदार कई बार घरों के सामने से गुजरने की घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई है। बीते जून माह में ही गुलदार ने गडोली में एक बालिका तथा उसी रोज तमलाग गांव के एक बुजुर्ग को घायल किया। इससे पूर्व भी पाबौ, एकेश्वर व पोखड़ा ब्लॉक के कई गांवों में गुलदार की दहशत बनी रही।

    इस सब के गुलदार के बढ़ते हमलों के पीछे का एक कारण पलायन से खाली घर गांव और जगह-जगह उगी झाडियां भी गुलदार के छिपने के सुरक्षित ठोर माना जा रहा हैं। एक घटना होती है तो दूसरे दिन वहां गश्त बढ़ाने के अलावा पिंजड़ा लगाने की कवायद तो शुरु हो जाती है लेकिन ये घटनाएं कब थमेगी, फिलवक्त इसका माकूल जबाव किसी के पास नहीं है। गुलदार की दहशत से यह गांव हुए खाली: पोखड़ा ब्लॉक का भरतपुर, नोलियूं। दुगडडा ब्लॉक का गोदी छोटी।

    बाघ ने मारे थे दो व्यक्ति

    जनपद के रिखणीखाल ब्लॉक के ग्राम डल्ला के लडवासैंण में बीते 13 अप्रैल को बाघ ने एक बुजुर्ग व्यक्ति को अपना निवाला बनाया था। इस घटना को कुछ ही समय बीता कि फिर बीते 15 अप्रैल को बाघ ने नैनीडांडा ब्लॉक के भैडगांव- सिमली में एक बुजुर्ग को मार दिया। जिसके बाद क्षेत्र में दहशत बनी रही। सुरक्षा के दृष्टिगत जिला प्रशासन की ओर से क्षेत्र के 24 गांवों में रात्रि कर्फ्यू के साथ ही कई दिनों तक स्कूलों व आंगनबॉड़ी केंद्रों को बंद कर दिया गया था।

    एक वर्ष के भीतर मारे गए लोग

    गुलदार के हमले में मृत- 5, घायल- 28

    बाघ के हमले में मारे गए-2

    इन क्षेत्रों में बनी रहती है गुलदार की दहशत

    पौड़ी, गडोली, मांडाखाल, बुआखाल, प्रेमनगर, टेका मार्ग, खांडयूसैंण, पोखड़ा, दुगडडा, पाबौ, डुंगरी, खंडाह, अणेथ, नैनीडांडा क्षेत्र।

    वन विभाग व नगर पालिका को जहां भी उनके क्षेत्र के अधीन आबादी क्षेत्रों में झाड़ियां उगी है। उसे काटने के अलावा ऐसे क्षेत्रों में वाहनों के माध्यम से जागरुकता हेतु प्रचार करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही वन विभाग को गुलदार प्रभावित क्षेत्रों में गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। आम जन को भी ऐसे वक्त में सावधानी बरतनी चाहिए। प्रभावित क्षेत्रों में स्ट्रीट लाइटें लगाने को भी कहा गया है।

    - डा. आशीष चौहान, जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल