Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    परियों के देश खैट पर्वत को नहीं मिली पहचान, पढ़िए पूरी खबर

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 20 Jan 2020 06:00 AM (IST)

    परियों के देश के नाम से मशहूर प्रतापनगर ब्लॉक के खैट पर्वत को पर्यटन विभाग पहचान नहीं दिला पा रहा है। यह रहस्यमयी पर्वत रोमांच और पर्वतारोहण के शौकीनों की नजरों से दूर है।

    परियों के देश खैट पर्वत को नहीं मिली पहचान, पढ़िए पूरी खबर

    नई टिहरी, जेएनए। लोक कथाओं में परियों के देश के नाम से मशहूर प्रतापनगर ब्लॉक के खैट पर्वत को पर्यटन विभाग पहचान नहीं दिला पा रहा है। जिसके चलते यह रहस्यमयी पर्वत रोमांच और पर्वतारोहण के शौकीनों की नजरों से दूर है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    समुद्र तल से 7500 फीट की ऊंचाई पर स्थित खैट पर्वत पर थात गांव से छह किमी पैदल दूरी तय करके पहुंचा जाता है। प्रतापनगर ब्लॉक में टिहरी झील से सटा खैट पर्वत अनोखी कहानियों और रहस्यमयी दुनिया अपने आप में समेटे है। लेकिन, पर्यटन विभाग इस खजाने को पर्यटन मानचित्र पर स्थान नहीं दिला पा रहा है। 

    स्थानीय लोग खैट को परियों का देश भी कहते हैं।

    मान्यता है कि यहां पर मां दुर्गा ने मधु-कैटव दानव का वध किया था, जिसके बाद कैटव का अपभ्रंश होकर यह खैट हो गया। यहां पर माता का मंदिर है और हर वर्ष पूजा व भंडारे का आयोजन किया जाता है। लेकिन, यहां पर पर्यटन बढ़ाने के लिए सुविधाओं की भारी कमी है। पर्यटन विभाग आज तक यहां पर पानी की सुविधा तक उपलब्ध नहीं करा पाया है। पर्वत की चोटी तक पहुंचने का रास्ता सही नहीं है और पर्यटकों के रुकने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है। 

    विकास का प्रस्ताव धूल खा रहा 

    वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार में पर्यटन विभाग ने खैट पर्वत पर सुविधाओं के विकास के लिए ढाई करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा था। लेकिन, प्रस्ताव शासन में धूल खा रहा है। प्रस्ताव पर सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया। 

    यह है मान्यता 

    स्थानीय लोगों की मानें तो यहां पर देवस्थान होने के कारण परियां खेलने के लिए आती थी, उन्होंने ही अपने खेल के लिए यहां पर गुफा और ओखलियां बनाई। परियों के यहां आने के कारण मान्यता थी कि अगर कोई इंसान वहां चला जाए तो परियां उसे अपने साथ ले जाती थी। इस कारण रात में वहां पर कोई भी आसपास के ग्रामीण नहीं जाते हैं।

    यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में अब जनवरी नहीं फरवरी में होगी मगरमच्छ, घड़ि‍याल और ऊदबिलाव की गणना

    खैट पर्वत की विशेषता 

    • रहस्यमयी गुफाएं 
    • रॉक क्लाइमिंग के लिए उपयुक्त खड़ी चट्टानें
    • पैरा ग्लाइडिंग के लिए उपयुक्त लांचिंग पैड
    • 7500 फीट की ऊंचाई का ट्रैक
    • खैट की चोटी पर हरा भरा मैदान 

    यह भी पढ़ें: उत्तर भारत में सबसे पहले मसूरी पहुंची थी बिजली, पढ़िए पूरी खबर