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बूढ़ाकेदार में लगा श्रद्धालुओं का जमावड़ा, शिव तत्व के बारे में जानकर अभिभूत हुए भोले भक्त

टिहरी जनपद के प्रसिद्ध धाम बूढ़ाकेदार के ग्राम बिट्टन गांव में मंगलवार को शिव पुराण कथा का आयोजन किया गया। जहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। शिव पुराणकथा के वाचन के लिए पहुंचे आचार्य कविराज पैन्युली ने श्रद्धालुओं से शिव तत्व के बारे में चर्चा की।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaPublished: Wed, 07 Jun 2023 09:51 AM (IST)Updated: Wed, 07 Jun 2023 09:51 AM (IST)
बूढ़ाकेदार में लगा श्रद्धालुओं का जमावड़ा, शिव तत्व के बारे में जानकर अभिभूत हुए भोले भक्त
बूढ़ाकेदार के ग्राम बिट्टन में आचार्य कविराज पैन्युली ने शिव पुराणकथा का वाचन किया

 जागरण डेस्क, नई दिल्ली: टिहरी जनपद के प्रसिद्ध धाम बूढ़ाकेदार के ग्राम बिट्टन गांव में मंगलवार को शिव पुराण कथा का आयोजन किया गया। जहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। शिव पुराणकथा के वाचन के लिए पहुंचे आचार्य कविराज पैन्युली ने श्रद्धालुओं से शिव तत्व के बारे में चर्चा की।

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उन्होंने बताया कि मां पार्वती शारदा के दो पुत्र हैं। एक पुत्र पुरुषार्थ तथा दूसरे पुत्र विवेक। विवेक का अर्थ होता है गणेश, इसलिए हम जो भी कार्य करें, विश्वास मय और विवेक मय होकर करें।

दो नदियों के मध्य पवित्र धाम

बूढ़ाकेदार टिहरी जनपद का प्रसिद्ध धाम है। दो नदियों बालगंगा व धर्म गंगा के मध्य यह धाम स्थित है। यहां पर दोनों नदियों का संगम भी है। पूर्व में केदारनाथ पैदल यात्रा का यह मुख्य पड़ाव था उस समय बूढ़ाकेदार धाम के दर्शन किए बिना केदारनाथ की यात्रा अधूरी मानी जाती थी। बूढ़ाकेदारनाथ के नाम से ही इस गांव का नाम भी बूढ़ाकेदार पड़ा जो धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।

इतिहास

बूढ़ाकेदारनाथ धाम की नींव आदि गुरू शंकराचार्य ने रखी थी। मंदिर के अंदर पत्थर की शिला है, जिसमें पांडवों की आकृतियां उभरी हैं। बताया जाता है कि गोत्र हत्या से मुक्ति पाने के लिए पांडव इस स्थान से स्वर्गारोहण के लिए निकलते थे तो यहां पर भगवान शिव ने पांडवों को वृद्ध व्यक्ति के रूप में दर्शन दिए थे, जिसके बाद इस स्थान का नाम बूढ़ाकेदार पड़ा। इस मंदिर के पुजारी नाथ जाति के लोग होते हैं। इसी स्थान से प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटक स्थल सहस्रताल पहुंचा जाता है।

श्रावण मास में पैदल कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्त बूढ़ाकेदार के दर्शन करते हैं। बूढ़ाकेदार के दर्शन के लिए दूर-दराज क्षेत्रों से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। यह काफी प्राचीन केदार में एक माना जाता है। वर्तमान में केदारनाथ की पैदल कांवड़ यात्रा यहीं से होकर निकलती है। यहां पर बूढ़ाकेदार का प्राचीन मंदिर था, जिसे अब भव्य रूप दिया है। क्षेत्र ही नहीं दूर-दराज क्षेत्र के लोगों की इस धाम के प्रति अटूट आस्था है।

कैसे पहुंचे

जिला मुख्यालय से यह धाम करीब 85 किमी दूर है। जिला मुख्यालय से यहां के लिए सीधी बस सेवा है। घनसाली से छोटे वाहनों से भी यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। बस व छोटे वाहन की सुविधा बूढ़ाकेदार तक है। यहां से कुछ ही दूरी पर बूढ़ाकेदार धाम है। उत्तरकाशी, धौंतरी होते हुए भी श्रद्धालु बूढाकेदार पहुंच सकते हैं।


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