जागरण संवाददाता, नई टिहरी। Tehri Lake water level: टीएचडीसीआइएल (टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन इंडिया लिमिटेड) के लिए शुक्रवार का दिन बड़ी उपलब्धि वाला रहा। वजूद में आने के 15 साल बाद पहली बार टिहरी बांध का जलाशय 830 मीटर ऊंचाई तक भरा है। ऐसे में टिहरी हाइड्रो प्रोजेक्ट फिलहाल अपनी पूरी क्षमता के साथ बिजली उत्पादन कर सकेगा। कंपनी का अनुमान है कि ऐसे में साल के कुल लक्ष्य के मुकाबले 25 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादित होने की उम्मीद है।
करीब 42 वर्ग किलोमीटर में फैली टिहरी झील को 830 मीटर तक भरने की अनुमति पिछले महीने मिली थी। अभी तक इसे 828 मीटर तक ही भरा जाता था। इस मानसून सीजन में अच्छी खासी बारिश होने के चलते शुक्रवार को टीएचडीसीआइएल ने यह लक्ष्य हासिल कर लिया। कंपनी के अधिशासी निदेशक यूके सक्सेना ने दोपहर बांध के व्यू प्वाइंट पहुंचकर इसका निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि टिहरी बांध में वर्ष 2006 में बिजली उत्पादन शुरू हुआ था, इसके बाद से पहली बार झील को 830 मीटर ऊंचाई तक भरा गया है।
ऐसे में कुछ दिनों तक टिहरी हाइड्रो प्रोजेक्ट में पूरी क्षमता के साथ बिजली उत्पादन किया जा सकेगा। इस साल औसतन 25 मिलियन यूनिट अतिरिक्त बिजली पैदा किए जाने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि नए मानक के तहत झील में लगभग 100 मिलियन क्यूबिक मीटर अतिरिक्त पानी जमा किया जा सकेगा। ऐसे में बांध से पेयजल और सिंचाई के लिए भी ज्यादा पानी देना संभव होगा।
10 अक्टूबर के बाद घटेगा जलस्तर
अधिशासी निदेशक यूके सक्सेना के अनुसार बरसात की वजह से झील में भागीरथी और भिलंगना से काफी मात्रा में पानी आ रहा है। ऐसे में 10 अक्टूबर तक झील का जलस्तर 830 या उसके आसपास रखा जाएगा। बरसात थमने के बाद मैदानी क्षेत्रों में पेयजल और सिंचाई के लिए मांग के अनुरूप पानी छोड़ना होता है। इससे झील का जलस्तर धीरे- धीरे कम होने लगेगा। इसके बाद अगले वर्ष मानसून सीजन में इसे फिर से 830 मीटर तक लाया जाएगा।
वर्ष 2010 में भारी बारिश से बढ़ा था जलस्तर
अधिशासी निदेशक ने बताया कि वर्ष 2010 में अधिक बारिश के कारण भागीरथी और भिलंगना नदी में उफान आने के कारण झील का जलस्तर 830 मीटर तक पहुंच गया था, जिसके और बढ़ने की संभावना थी। ऐसे में बांध की सुरक्षा को देखते हुए बांध के ऊपरी हिस्से में बनाए गए दो अनगेटेड साफ्ट स्पिलवे से पानी छोड़ा गया था। झील का जल स्तर 830 मीटर से अधिक होने पर अतिरिक्त पानी इनके जरिये भागीरथी नदी में चला जाता है।
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