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    अंतरराष्ट्रीय साइबर गैंग तक फर्जी बैंक खाते और सिम पहुंचाता था आरोपी, पुलिस ने कसा शिकंजा; पाकिस्तान से जुड़े तार

    पुलिस के अनुसार 16 अगस्त 2024 को बंगलो की कंडी कैम्पटी (टिहरी) निवासी पवित्र देवी ने साइबर ठगी की शिकायत की थी। इसमें बताया कि कुछ समय पहले उन्हें अनजान नंबर से फोन आया था। फोन करने वाले ने अपना नाम मनीष चौधरी और खुद को कनाडा का निवासी बताया। इसके बाद वह उन्हें अक्सर फोन करने लगा। इस तरह उनके बीच दोस्ती हो गई।

    By Jagran News Edited By: Amit Singh Updated: Thu, 10 Apr 2025 10:31 AM (IST)
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    अंतरराष्ट्रीय साइबर गैंग से जुड़ा था आरोपित

    जागरण संवाददाता, नई टिहरी। कनाडा से उपहार में सोने के जेवरात भेजने के नाम पर महिला से 18 लाख रुपये की साइबर ठगी में शामिल आरोपित को कैम्पटी थाना पुलिस झारखंड के धनबाद से टिहरी लेकर आई है। उसके पास से 35 लाख रुपये से अधिक का माल बरामद किया गया है। आरोपित विदेश से संचालित हो रहे अंतरराष्ट्रीय साइबर गैंग को ठगी के लिए फर्जी बैंक खाते व सिम उपलब्ध कराता था, जिसके तार पाकिस्तान तक जुड़े हुए हैं।

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    पुलिस के अनुसार, 16 अगस्त 2024 को बंगलो की कंडी, कैम्पटी (टिहरी) निवासी पवित्र देवी ने साइबर ठगी की शिकायत की थी। इसमें बताया कि कुछ समय पहले उन्हें अनजान नंबर से फोन आया था। फोन करने वाले ने अपना नाम मनीष चौधरी और खुद को कनाडा का निवासी बताया। इसके बाद वह उन्हें अक्सर फोन करने लगा। इस तरह उनके बीच दोस्ती हो गई। एक दिन आरोपित ने उन्हें उपहार में सोने की ज्वेलरी भेजने की बात कही।

    इसके बाद 25 जून 2024 को महिला के पास एक व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को मुंबई एयरपोर्ट का कस्टम अधिकारी बताते हुए कहा कि उनका 38 लाख रुपये का पार्सल आया है, जिसे प्राप्त करने के लिए कस्टम फीस देनी होगी। उसने कस्टम फीस के नाम पर अलग-अलग बैंक खातों में 18 लाख से अधिक धनराशि जमा करा ली। इसके बाद भी उपहार नहीं मिला तो महिला को ठगी का एहसास हुआ।

    एसएसपी टिहरी आयुष अग्रवाल ने प्रकरण की जांच साइबर सेल प्रभारी निरीक्षक नदीम अतहर को सौंपी। इसमें पता चला कि आरोपितों ने उक्त रकम सात अलग-अलग बैंक खातों में जमा करवाई और फिर उसे दो अन्य बैंक खातों में स्थानांतरित किया। इनमें एक बैंक खाता भोपाल (मध्य प्रदेश) और दूसरा लखीसराय (बिहार) का पाया गया।

    निरीक्षक नदीम अतहर ने बताया कि दोनों खातों से ठगी की धनराशि कई फर्जी खातों में ट्रांसफर की गई थी। जांच में सामने आया कि लखीसराय से जिन खातों में धनराशि ट्रांसफर की गई, उन्हें साइबर ठगों को पप्पू कुमार साव निवासी भूल्ली बस्ती, नवाडीह, धनबाद (झारखंड) ने उपलब्ध कराया। पुलिस की एक टीम उसकी गिरफ्तारी के लिए धनबाद पहुंची, वहां पता चला कि आरोपित किसी मामले में जेल में बंद है। इसके बाद उसे सीजेएम न्यायालय धनबाद से ट्रांजिट रिमांड पर टिहरी लाया गया।

    पाकिस्तान के नंबरों से मिलता था निर्देश

    आरोपित इंटरनेट के विभिन्न प्लेटफार्म पर झारखंड, बंगाल, बिहार आदि राज्यों के युवकों को मोटी कमाई का लालच देकर फंसाता था। फिर उनसे खुद या किसी अन्य व्यक्ति के नाम से बैंक अकाउंट व सिम चालू करवाता और इनकी डिटेल अपने हैंडलर को भेज देता, जो पाकिस्तान के मोबाइल नंबरों से उसको निर्देश देता था। इसके एवज में आरोपित को ठगी की धनराशि में से तीन प्रतिशत और बैंक खाता व सिम उपलब्ध कराने वाले को छह प्रतिशत हिस्सा मिलता था। शेष 91 प्रतिशत धनराशि विदेशी हैंडलर के बताए बैंक खाते में हस्तांतरित की जाती थी। इस तरह प्रत्येक दिन तीन से चार लाख रुपये का ट्रांजेक्शन होता था। आरोपित खुद भी साइबर ठगी के लिए इन बैंक खातों व सिम का इस्तेमाल करता था।

    अन्य आरोपितों की तलाश जारी

    भोपाल वाला खाता मुस्कान साहू के नाम पर था, जिससे रकम चार अन्य खातों में स्थानांतरित की गई। इनमें से एक खाताधारक की आत्महत्या करने से मौत हो चुकी है। दूसरा खाताधारक दिलीप यादव मध्य प्रदेश की जतारा जेल में बंद है। तीसरे खाताधारक सत्यम भानावत को नोटिस दिया गया है, जबकि चौथे धर्मेंद्र यादव की तलाश की जा रही है। इसी प्रकार लखीसराय वाले खाते से भी धनराशि विभिन्न खातों में ट्रांसफर की गई। पुलिस उन आरोपितों की तलाश में जुटी है।