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    यहां प्रवासियों के पौधों से स्कूल में छाने लगी हरियाली, इनके कार्य सभी के लिए बने प्रेरणास्रोत

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Wed, 24 Mar 2021 12:02 PM (IST)

    कोरोना काल के दौरान गत वर्ष उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के भरदार क्षेत्र में बड़ी संख्या में प्रवासी अपने गांव वापस लौटे थे। क्वारंटाइन के दौरान उन्होंने विद्यालय परिसर में सब्जी उगाने के साथ ही उबड़ खाबड़ भूमि को समतल कर बड़ी संख्या में पौधारोपण भी किया था।

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    प्रवासियों के पौधों से स्कूल में छाने लगी हरियाली। जागरण

    संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग। कोरोना काल के दौरान गत वर्ष उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के भरदार क्षेत्र में बड़ी संख्या में प्रवासी अपने गांव वापस लौटे थे। क्वारंटाइन के दौरान उन्होंने विद्यालय परिसर में सब्जी उगाने के साथ ही उबड़ खाबड़ भूमि को समतल कर बड़ी संख्या में पौधारोपण भी किया था। अब दस महीने बाद प्राथमिक विद्यालय के चारों ओर फैली हरियाली उनकी मेहनत की कहानी बयां कर रही है।

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    जिले के भरदार पट्टी की ग्राम सभा घेघड़ के युवा प्रवासी कोरोना के समय गुजरात, दिल्ली, मुंबई आदि शहरों से अपने गांव वापस लौटे। इस दौरान नियमानुसार इन सभी को 14 दिन के क्वारंटाइन में प्राथमिक विद्यालयों में रखा गया। देश के प्रधानमंत्री ने भी जनता को उस समय अपने संबोधन में आत्मनिर्भर होने का संदेश दिया, जिससे प्रभावित होकर गांव के प्रवासी गुमान सिंह, हरेंद्र सिंह, गुलाब सिंह, सौरभ भट्ट, गोविंद सिंह, मनोज सिंह, जय सिंह, वीरपाल सिंह, राजीव, पंकज, सुमित, हिमांशु आदि को सरकार की गाइड लाइन के अनुसार ग्राम सभा के बेसिक पाठशाला कमड़खेत भरदार में क्वारंटाइन हुए। 

    इस दौरान उन्होंने सब्जी उत्पादन के साथ ही फलदार पेड़ भी स्कूल परिसर में लगाए, स्कूल के पास उबड़ खाबड़ भूमि को समलीकरण के लिए कुदाल, गैंती, सबल आदि गांव से मंगवाकर कार्य किया। इनके द्वारा खेत बनाए गए, जिनमें पौधा रोपण किया गया। आज स्कूल के आस पास पेड़ बड़े होने लगे हैं। हरियाली छाने लगी है। जो आस पास गांव के लोगों को भी सकून दे रही है।

    ग्राम सभा के निवासी शिव प्रसाद भट्ट ने बताया कि बारिश कम होने से पौधों को नुकसान पहुंचा है, लेकिन इसके बावजूद काफी संख्या में पौधे बड़े हो रहे हैं। रोजगार न होने से हालांकि कई प्रवासी फिर से शहरों की ओर पलायन कर चुके हैं, लेकिन उनके कार्यों को हमेशा याद किया जाएगा। 

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