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    Phool Dei Festival 2024: आज से शुरू हो रहा है फूलदेई उत्सव, उत्तराखंड में फूलों से मनाया जाता है यह पर्व

    Phool Dei Festival 2024 पहाड़ में प्रतिवर्ष चैत्र मास की सक्रांति से फूलदेई उत्सव है। रुद्रप्रयाग के ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह सवेरे बच्चे बसंत के गीत गाकर मठ-मंदिर एवं घरों की चौखट फूल डालते हुए नजर आते हैं। बच्चे यह प्रक्रिया नित्य आठ दिनों तक निभाते हैं। प्रतिदिन सुबह गांवों में बच्चे घोघा माता फ्यूंली फूल के गीत गाकर घरों की चौखट पर फूल डालते हैं।

    By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Thu, 14 Mar 2024 09:31 AM (IST)
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    आज से शुरू हो रहा है फूलदेई उत्सव

    संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग। (Phool Dei 2024 Celebration Today) पहाड़ में प्रतिवर्ष चैत्र मास की सक्रांति से फूलदेई उत्सव है। गुरुवार से शुरू होने वाले इस उत्सव को लेकर नन्हें मुन्ने बच्चों में उत्साह देखने को मिल रहा है। वहीं ग्लोबल वार्मिंग के चलते फूलों के समय से पहले खिलने से पेड़ों पर फूल कम ही नजर आ रहे हैं। जिससे बच्चों को इस उत्सव को मनाने में काफी परेशानियां उठानी पड़ रही है।

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    रुद्रप्रयाग के ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह सवेरे बच्चे बसंत के गीत गाकर मठ-मंदिर एवं घरों की चौखट फूल डालते हुए नजर आते हैं। बच्चे यह प्रक्रिया नित्य आठ दिनों तक निभाते हैं। प्रतिदिन सुबह गांवों में बच्चे घोघा माता फ्यूंली फूल के गीत गाकर घरों की चौखट पर फूल डालने के साथ ही ग्रामीणों को जगाने का कार्य भी करते है।

    घरों की चौखट पर फूल डालते हैं बच्चें

    इसके अलावा सुबह सवेरे कई प्रकार के पशु पक्षियों का चहकाना बंसत के आगमन का स्पष्ट भाव देता है। घरों की चौखट पर फूल डालने के बदले में ग्रामीण फुलवारी बच्चों को परम्परागत ढ़ंग से चौलाई से बने खील व गुड़ देते हैं।

    कई स्थानों पर बच्चे समूह में घोघा देवता (फूलदेई) की डोली को भी सजाकर बसंत गीतों के साथ झूम-झूमकर नचाते हैं। आठवें दिन बच्चों द्वारा सभी घरों से भोजन सामग्री व पूजा सामग्री को इकट्ठा कर सामूहिक भोज तैयार किया जाता है। इसके बाद बच्चों द्वारा घोघा देवता की पूजा-अर्चना एवं भोग लगाने के बाद ही भोजन को खुद ग्रहण करते हैं।

    पहाड़ की है अनूठी परम्परा

    कई स्थानों पर केवल घोघा देवता की डोलियों न ले जाकर पत्थरों पर बने मूर्ति की पूजा की जाती है। यह पहाड़ की एक अनूठी परम्परा होने के साथ बच्चों का प्रिय त्यौहार माना गया है।

    वहीं ग्लोबल वार्मिंग के चलते गांवों में फूलों का समय से पहले ही खिल जाने से फूलदेई उत्सव को मनाने में कुछ हद तक कमी आई है।

    आचार्य पंडिंत सुनील डिमरी ने बताया कि प्रत्येक वर्ष चैत्र मास की संक्राति से फूलदेई उत्सव का आयोजन होता है। इस बार यह आयोजन 14 मार्च से शुरू हो रहा है। आठ दिनों तक चलने वाली इस प्रक्रिया के तहत बच्चे प्रतिदिन सुबह सवेरे घरों की चौखट पर फूल डालेंगे।

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