तुंगनाथ धाम पहुंचे अब तक 1.10 लाख से अधिक यात्री, 6 नवम्बर को बंद होंगे मंदिर के कपाट
रूद्रप्रयाग के तुंगनाथ धाम में अब तक 1.10 लाख से अधिक यात्रियों ने दर्शन किए हैं। बारिश के बाद यात्रियों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है और यात्रा में और वृद्धि की संभावना है क्योंकि कपाट 6 नवम्बर को बंद होंगे। मंदिर प्रबंधक ने बताया कि इस साल तीर्थयात्रियों की संख्या नया रिकॉर्ड बना सकती है जिसमें पुरुष महिलाएं बच्चे साधु-संत और विदेशी शामिल हैं।

संवाद सूत्र, जागरण ऊखीमठ। पंचकेदारों में शामिल तृतीय केदार तुंगनाथ धाम में अब तक 1.10 लाख से अधिक यात्री दर्शन कर पुण्य अर्जित कर चुके हैं। बरसात के बाद यात्रियों की संख्या में इजाफा होने लगा है। हालांकि अभी यात्रा को एक माह समय शेष बचा है, ऐसे में यात्रियों की संख्या में और इजाफा होने की उम्मीद है।
समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर की ऊंचाई पर चन्द्रशिला की तलहटी में तुंगनाथ मंदिर स्थित है। जुलाई और अगस्त माह में राज्य के विभिन्न भागों में आई प्राकृतिक आपदाओं के चलते तीर्थ यात्रियों की संख्या में जहां भारी गिरावट आई थी, वहीं अब मौसम के अनुकूल होते ही यात्रा एक बार फिर गति पकड़ चुकी है। ऐसे में प्रतिदिन पांच सौ से एक हजार के बीच प्रतिदिन यात्री दर्शनों को पहुंच रहे है।
मंदिर के कपाट आगामी 6 नवम्बर को बंद होने है, जिससे यात्रियों की संख्या में और बढ़ने की उम्मीद है। यात्रा के परवान चढ़ने से न केवल तुंगनाथ धाम बल्कि पूरी तुंगनाथ घाटी के पड़ावों पर भी रौनक लौट आई है। यात्रियों की बढ़ती संख्या से स्थानीय तीर्थाटन और पर्यटन व्यवसाय में बढ़ोतरी होे रही है, वहीं मंदिर समिति के आय में भी इजाफा हो रहा है।
पर्वतीय क्षेत्र की शांत वादियों में भगवान तुंगनाथ के दर्शन करने के साथ श्रद्धालु चन्द्रशिला शिखर की खूबसूरती से भी मंत्रमुग्ध हो रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि कपाट बंद होने तक तुंगनाथ यात्रा इस वर्ष अब तक का नया रिकॉर्ड बना सकती है।
मंदिर प्रबंधक बलवीर नेगी ने बताया कि अब तक 53,323 पुरुष, 46,577 महिलाएं, 10,064 बच्चे, 312 साधु-संत और 23 विदेशी तुंगनाथ धाम पहुंच चुके हैं। उन्होंने कहा कि जुलाई के पहले सप्ताह में मानसून सक्रिय होने और नंदप्रयाग, छेनागाड़ व देहरादून क्षेत्र की आपदाओं के चलते यात्रा प्रभावित रही, लेकिन अब अक्टूबर के पहले सप्ताह से मौसम खुशनुमा होने के बाद तीर्थ यात्रियों की आवाजाही लगातार बढ़ रही है।
मंदिर समिति के सदस्य चंद्रमोहन बजवाल ने बताया कि चोपता से सीधे चन्द्रशिला शिखर तक जाने वाले पर्यटक समिति के आंकड़ों में शामिल नहीं हैं, क्योंकि कई पर्यटक केवल प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने वहां पहुंचते हैं।
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