केदारनाथ धाम की राह आसान करने को बनेगी सुरंग, 16 से कम होकर केवल पांच किमी रह जाएगी पैदल दूरी
केदारनाथ धाम की यात्रा को सुगम बनाने के लिए चौमासी और लिनचोली के बीच सात किलोमीटर लंबी सुरंग बनेगी जिससे पैदल दूरी घटकर पांच किलोमीटर रह जाएगी। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने सर्वेक्षण और ड्राइंग तैयार कर ली है। 2022 में पीएमओ ने भी सड़क मार्ग का विकल्प मांगा था। 2013 की आपदा में पैदल मार्ग का पांच किलोमीटर हिस्सा नष्ट हो गया था।

बृजेश भट्ट, जागरण रुद्रप्रयाग। निकट भविष्य में केदारनाथ धाम की राह आसान होने की उम्मीद है। इसके लिए धाम को सड़क मार्ग से जोड़ने की कवायद चल रही है। यह सड़क मार्ग सात किमी लंबी सुरंग से होकर गुजरेगा, जो कि चौमासी से लिनचोली के बीच बननी है।
वर्ष 2022 में भी पीएमओ ने जिला प्रशासन से केदारनाथ तक सड़क मार्ग का विकल्प मांगा था, लेकिन फिर इस दिशा में कोई पहल नहीं हो पाई। गौरीकुंड से केदारनाथ धाम जाने के लिए वर्तमान में 16 किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है, लेकिन सुरंग बनने के बाद यह दूरी महज पांच किमी रह जाएगी। यह हिस्सा भूस्खलन व भूधंसाव की दृष्टि से सुरक्षित है।
रूपरेखा तैयार
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने केदारनाथ धाम को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए रूपरेखा तैयार की है। एनएच के अधिशासी अभियंता ओंकार पांडे ने बताया कि इसके तहत मंत्रालय ने चौमासी से लिनचोली तक प्रारंभिक सर्वेक्षण कराने के साथ इसकी ड्राइंग भी तैयार करा ली है।
अब मंत्रालयों के अधिकारियों की टीम इसे अंतिम रूप दे रही है। बीते वर्ष सितंबर में पांच सदस्यीय टीम ने चौमासी-खाम बुग्याल-केदारनाथ मार्ग का जमीनी सर्वेक्षण किया था। तब टीम ने कहा था कि इस पूरे मार्ग पर कहीं भी भूस्खलन जोन नहीं हैं।
कठोर चट्टानें हैं और बुग्यालों के ऊपर व नीचे से रास्ता बनाया जा सकता है। इससे पूर्व, वर्ष 2022 में पीएमओ ने गौरीकुंड-रामबाड़ा-चौमासी मोटर मार्ग निर्माण को लेकर रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन से प्रस्ताव तैयार करने को कहा था। तब रामबाड़ा तक सुरंग बनाने की बात कही गई थी, लेकिन सुरंग कहां से बनेगी, यह तय नहीं था।
ध्वस्त हो गया था केदारनाथ पैदल मार्ग
विदित हो कि 16-17 जून 2013 की केदारनाथ त्रासदी में गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच पैदल मार्ग का पांच किमी हिस्सा पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। इसी के चलते रामबाड़ा से दायीं ओर की पहाड़ी पर लिनचोली होते हुए धाम तक नया पैदल मार्ग बनाना पड़ा। लेकिन, 31 जुलाई 2024 की अतिवृष्टि में यह मार्ग भी भूस्खलन के चलते लगभग 20 दिन अवरुद्ध रहा।
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