केदारनाथ आपदा के 12 साल: भीषण त्रासदी में बदल गया था केदारपुरी का पूरा भूगोल, अब सुरक्षित व भव्य तस्वीर
वर्ष 2013 की केदारनाथ त्रासदी के बाद केदारपुरी का भूगोल बदल गया था। आपदा में धाम का अस्सी फीसदी हिस्सा तबाह हो गया था। लेकिन पुनर्निर्माण कार्यों के बाद केदारपुरी की तस्वीर बदल गई है। प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य जारी है। केदारनाथ को सुरक्षित बनाने के लिए कई सुरक्षा दीवारें बनाई गई हैं।

संवाद सहयोगी जागरण, रुद्रप्रयाग। केदारनाथ की भीषण त्रासदी में केदारपुरी का पूरा भूगोल ही बदल गया था। जून 16 व 17 को वर्ष 2013 में आई आपदा ने केदारनाथ मंदिर को छोड़ धाम में अस्सी फीसदी हिस्से को तबाह कर दिया था। पांच हजार से अधिक लोग त्रासदी की भेंट चढ़ गए थे।
केदारपुरी की तबाही को देखकर उम्मीद कर पाना मुश्किल था कि भविष्य में धाम के लिए यात्रा शुरू हो भी पाएगी या नहीं। लेकिन केदारनाथ की यात्रा नियमित रूप से संचालित ही नहीं हुई, बल्कि केदारपुरी की तस्वीर ही बदल गई है। त्रासदी के बाद 12 वर्ष में केदारनाथ दिव्य भव्य रूप में संवर गई है।
केदारपुरी को सवारने के लिए स्वयं केन्द्र सरकार का पीएमओ लगातार नजर बनाए हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ धाम में पुर्ननिर्माण कार्य अभी भी जारी है। दो चरण के कार्य पूरे हो चुके है, तीसरा चरण जारी है।
केदारनाथ में 12 वर्ष पूर्व आई त्रासदी से पूरे केदारपुर में व्यापक नुकसान पहुंचा था। केदार पुरी में भववन खण्डर हो चुके थे, पैदल रास्तों से लेकर घरों को भारी नुकसान पहुंचा था। केदार बाबा का मंदिर ही सुरक्षित बचा था, इसके अलावा चारो ओर तबाही ही तबाही थी। हालांकि वर्ष 2013 से ही पुर्ननिर्माण कार्य शुरू हो गए थे, लेकिन वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धाम में पुर्ननिर्माण कार्यो की नीव रखी, मास्टर प्लान के तहत केदारपुरी को बसाने के लिए कार्य तीन चरणों में शुरू हुए, जिसमें दो चरणों के कार्य पूरे हो चुके हैं।
जबकि तीसरे चरण के कार्य गतिमान है, दो चरणों में पांच सौ करोड़ से अधिक के कार्य संपन्न हो चुके हैं, जबकि अभी भी 250 करोड़ से अधिक के कार्य संचालित हो रहे हैं। केदारपुरी में पुर्ननिर्माण कार्य इस तरीके से किए जा रहे हैं कि भविष्य में यदि कोई आपदा आए तो उसका नुकसान धाम को न हो। धाम के ऊपर के ओर मंदिर के ठीक पीछे 390 मीटर लंबी, 18 फीट ऊंची और दो फीट चौड़ी कंक्रीट की त्रिस्तरीय दीवार बनाई गई, जिससे केदारपुरी को सुरक्षित किया जा सकेगा।
मंदाकिनी व सरस्वती नदी पर भी सुरक्षा दीवार बनाई गई है, जिससे नदियों से होने वाला कटाव रुक गया है। आपदा के समय गौरीकुंड हाईवे रुद्रप्रयाग से लेकर गौरीकुंड तक कई जगह पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। अब इस हाईवे को आलवेदर रोड के तहत बनाया जा रहा है।
केदारपुरी में तीर्थ पुरोहितों के लिए 264 भवनों का निर्माण कराया गया है। आपदा के बाद बनाए गए नए पैदल मार्ग पर लिनचोली, छोटी लिनचोली व रुद्रा प्वांइट समेत कई छोटे बाजार विकसित किए गए हैं। इन पड़ावों पर तीर्थ यात्रियों के लिए खाने-ठहरने की व्यवस्था भी है। साथ ही केदारनाथ पैदल मार्ग भी पहले के मुकाबले काफी अच्छा और सुरक्षित भी हो गया है। पूरे मार्ग पर रेलिंग लगाई गई है और मार्ग भी तीन से चार मीटर तक चौड़ा है।
गरुड़चट्टी चट्टी को प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत फिर से आबाद किया जा रहौ। रामबाड़ से गरुडचट्टी तक पैदल मार्ग का निर्माण कार्य अस्सी फीसदी पूरा हो चुका है।
घोड़े खच्चरों व हेलिकॉप्टर से पहुंचाई जा रही निर्माण सामग्री
केदारपुरी में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों में निर्माण सामग्री को घोड़े खच्चरों के साथ ही हेलिकॉप्टर के माध्मय से पहुंचाई गई। वायु सेना के एमआइ-27 और चिनूक हेलिकॉप्टर से 1000 टन से अधिक निर्माण सामग्री केदारपुरी पहुंचाई गई। इसमें डंफर, पोकलैंड मशीन व जेसीबी समेत भारी निर्माण सामग्री शामिल है।
वहीं दो हजार से अधिक घोड़े खच्चरों के माध्यम लगातार केदारनाथ धाम में चल रहे पुर्ननिर्माण कार्यो के लिए निर्माण सामग्री पहुंचाई गई, जिसमें सीमेंट, सरिया, स्टील समेत अन्य सामग्री शामिल थी।
धाम में हुए मुख्य निर्माण कार्य
- केदारनाथ मंदिर के पीछे 390 मीटर लंबी सुरक्षा दीवार का निर्माण
- मंदाकिनी व सरस्वती नदी पर घाट व चबूतरे का निर्माण
- केदारनाथ मंदिर परिसर में चौड़ीकरण कार्य, मंदिर के सामने 200 मीटर लंबा रास्ता बनाया गया
- सरस्वती व मंदाकिनी नदी पर सुरक्षा दीवार का निर्माण
- केदारनाथ मंदिर के सामने वाले चबूतरे का निर्माण
- तीर्थ पुरोहितों के लिए भवनों का निर्माण
- केदारपुरी में विभिन्न रास्तों का निर्माण
- मंदाकिनी व सरस्वती नदी पर 500 मीटर लंबे आस्था पथ का निर्माण
- गरुड़चट्टी को केदारनाथ से जोड़ा गया
- तीर्थ यात्रियों के रहने के लिए काटेज का निर्माण
- केदारपुरी में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त अस्पताल शुरू
- आदि शंकराचार्य की समाधि का पुनर्निर्माण
- वीआईपी हेलीपैड व मुख्य हेलीपैड का निर्माण
- दूधगंगा नदी से गरुड़चट्टी के बीच पहाड़ी पर तीन ध्यान गुफाओं का निर्माण
- हाट बाजार का निर्माण
- गरुड़चट्टी जाने के लिए मंदाकिनी नदी पर पुल का निर्माण
- ईशानेश्वर महादेव का मंदिर का निर्माण
- आपदा प्रभावित शेष तीर्थ पुरोहितों के लिए भवनों का निर्माण
- गरुड़चट्टी से भीमबली तक पैदल मार्ग का निर्माण
- सरस्वती नदी पर पुल का निर्माण
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