विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी के जीर्णोद्धार का कार्य पूरा, चार मार्च को पूजा के बाद लाया जाएगा कलश
फरवरी के प्रथम सप्ताह में दिल्ली के दानीदाता दिनेश कानोड़िया के सहयोग से तृतीय केदार तुंगनाथ के बाद विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य शुरू हुआ था। मंदिर के ऊपर लगी छतरी के जीर्णोद्धार कार्य के लिए शीर्ष कलश को हक-हकूक धारियों की उपस्थिति में उतार कर मंदिर के अंदर सुरक्षित रखा गया था। जिसके बाद पुरानी छतरी के बदले नई छतरी बनाकर इसे मंदिर में लगा दिया गया है।
संवाद सूत्र, गुप्तकाशी। केदारघाटी में स्थित विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी का जीर्णोद्धार का कार्य लगभग पूरा हो गया है। चार मार्च को पूजा अर्चना के बाद मंदिर में कलश लगाया जाएगा। वहीं चारधाम यात्रा को लेकर मंदिर में रंग रोहन का कार्य भी पूरा हो गया है।
फरवरी के प्रथम सप्ताह में दिल्ली के दानीदाता दिनेश कानोड़िया के सहयोग से तृतीय केदार तुंगनाथ के बाद विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य शुरू किया गया था। विश्वनाथ मंदिर के ऊपर लगी छतरी के जीर्णोद्धार कार्य के लिए शीर्ष कलश को हक-हकूक धारियों की उपस्थिति में उतार कर मंदिर के अंदर सुरक्षित रखा गया था।
जिसके बाद पुरानी छतरी के बदले नई छतरी बनाकर इसे मंदिर में लगा दिया गया है। एक दो दिन में पूजा अर्चना के साथ मंदिर के कलश को लगाया जाएगा। विश्वनाथ मंदिर प्रबंधक भगवती सेमवाल ने बताया कि मंदिर की छतरी का जीर्णोदार का कार्य लगभग पूरा हो गया है।
साथ ही मंदिर में रंग रोगन का कार्य भी पूरा हो चुका है। चार मार्च को बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय की ओर से मंदिर के पास भैरव मंदिर के लिए भूमि पूजन एवं शिलान्यास किया जाएगा। इसी दिन मुख्य मंदिर की छतरी पर कलश को भी लगाया जाएगा।