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द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद

द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए सुबह ठीक 11 बजे विधि विधान से बंद कर दिए गए।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 11:58 AM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 08:52 PM (IST)
द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद
द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद

रुद्रप्रयाग, जेएनएन। द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए सुबह ठीक 11 बजे  विधि विधान से बंद कर दिए गए। सुबह 8 बजे से भगवान मद्महेश्वर की विशेष पूजा अर्चना के बाद पुजारी बागेश लिंग ने स्वयंभू लिंग की समाधि दी। उसके बाद विग्रह डोली मंदिर परिसर में आयी। मद्महेश्वर की डोली ने अष्ट भैरव सहित अन्य देव निशानों के साथ मंदिर की परिक्रमा की।

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मंदिर समिति के अधिकारियों-कर्मचारियों एवं रुद्रप्रयाग पुलिस-प्रशासन की उपस्थिति में 11 बजे मंदिर का मुख्य द्वार बंद कर प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान किया। कपाट बंद होने के अवसर पर नायब तहसीलदार एनडी जुयाल, मंदिर सुपरवाइजर यदुवीर पुष्पवान, पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत, वेदपाठी यशोधर मैठाणी, गणेश सेमवाल, मृत्यंजय हीरेमठ, संदीप बैंजवाल, भीष्म नारायण, रविन्द्र भट्ट मौजूद रहे। इस यात्रा वर्ष 6138 तीर्थ यात्रियों ने भगवान मद्महेश्वर के दर्शन किए।

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22 नवंबर को मद्महेश्वर की डोली देव निशानों के साथ राकेश्वरी मंदिर रांसी तथा 23 नवंबर को गिरिया प्रवास एवं 24 नवंबर शीतकाल गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी। 24 नवंबर को उखीमठ में भव्‍य मद्महेश्वर मेला आयोजित होगा।

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