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कोरोना काल में ऑनलाइन खूब बिका केदारनाथ धाम का प्रसाद, पढ़िए पूरी खबर

कोरोना काल में केदारनाथ धाम के प्रसाद के 1800 पैकेट ऑनलाइन और ऑफलाइन बिक चुके हैं। इससे स्वयं सहायता समूह से जुड़ी 15 महिलाओं को साढ़े पांच लाख रुपये की आय हुई।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 09:21 AM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 09:21 AM (IST)
कोरोना काल में ऑनलाइन खूब बिका केदारनाथ धाम का प्रसाद, पढ़िए पूरी खबर

रुद्रप्रयाग, बृजेश भट्ट। कोरोना काल में भी केदारनाथ धाम के प्रसाद की ऑनलाइन बिक्री को लेकर देश-विदेश के श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है। बीते लगभग सवा माह में ही प्रसाद के 1800 पैकेट ऑनलाइन और ऑफलाइन बिक चुके हैं। इससे स्वयं सहायता समूह से जुड़ी 15 महिलाओं को साढ़े पांच लाख रुपये की आय हुई है। 

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केदारनाथ धाम के कपाट गत 29 अप्रैल को खोले गए थे। लेकिन, कोरोना संक्रमण के चलते यात्रा की अनुमति 12 जून से मिली और वह भी सिर्फ रुद्रप्रयाग जिले के निवासियों को। अन्य जिलों के श्रद्धालुओं को एक जुलाई से केदारनाथ आने की अनुमति दी गई। हालांकि, अब देशभर के श्रद्धालुओं के लिए यात्रा खोल दी गई है। हालांकि, कोरोना की बंदिशों के चलते अभी भी यात्रा से जुड़ी गतिविधियां लगभग ठप हैं। 

इससे स्थानीय उत्पादों से तैयार होने वाले केदारनाथ प्रसाद का कार्य भी प्रभावित हुआ। नतीजा, प्रसाद बनाने के कार्य से जुड़ी सैकड़ों महिलाएं बेरोजगार हो गईं। ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन ने बीती 20 जुलाई से प्रसाद की ऑनलाइन बिक्री शुरू की। तब से 27 अगस्त तक उत्तराखंड के अलावा दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बंगाल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश व केरल से श्रद्धालु प्रसाद के 1400 पैकेट ऑनलाइन मंगा चुके हैं। जबकि, 400 पैकेट ऑफलाइन खरीदे गए। 

प्रसाद बनाने का कार्य कालीमठ घाटी के 'उन्नति' स्वयं सहायता समूह को सौंपा गया है। समूह की अध्यक्ष सरिता देवी ने बताया कि प्रसाद की ऑनलाइन व ऑफलाइन खरीद के लिए लगातार बुकिंग आ रही है। एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना की जिला थैमेटिक विशेषज्ञ भावना पंवार ने बताया कि कोरोना काल में प्रसाद की ऑनलाइन बिक्री के अच्छे परिणाम मिले हैं। आने वाले दिनों में समूहों के अन्य उत्पादों की भी ऑनलाइन बिक्री की जाएगी।

प्रसाद में यह सामग्री है शामिल

प्रसाद में चौलाई के लड्डू व बिस्कुट, हवन सामग्री, त्रियुगीनारायण के हवन कुंड की राख व बेलपत्र शामिल हैं। इस पैकेट की ऑनलाइन कीमत 451 और ऑफलाइन कीमत 201 रुपये रखी गई है।

बीते वर्ष बिका था दो करोड़ का प्रसाद

ग्राम्य विकास विभाग के सहायक परियोजना निदेशक रमेश चंद्र बताते हैं कि विभाग की वेबसाइट onlineprasad.knack.com/mis पर ऑनलाइन प्रसाद की बुकिंग सभी राज्यों से मिल रही है। हालांकि, कोरोना संक्रमण के चलते बीते वर्षों की तुलना में यह काफी कम है। हालांकि, उम्मीद है कि सितंबर में बिक्री बढ़ेगी। बीते वर्ष प्रसाद से महिलाओं को दो करोड़ रुपये से अधिक का आय हुई थी।

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