Kedarnath Dham: कड़ाके की ठंड में भी जारी है पुनर्निर्माण कार्य, पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने में लगे 300 मजदूर
Kedarnath Dham वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद से केदारपुरी में पुनर्निर्माण कार्य शीतकाल में भी तेजी से चल रहे हैं। धाम में शीतकाल के समय भी मजदूर कार्य में जुटे रहते हैं। केदारनाथ में लगातार तापमान नीचे लुढ़क रहा है। कड़ाके की ठंड में तमाम परेशानियों से मजदूर जूझ रहे हैं पीने का पानी नलों में जम चुका है बर्फ पिघलाकर पानी पी रहे हैं।

बृजेश भट्ट, रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड में मौसम बदल गया है। पहाड़ की चोटियों के साथ-साथ अब मैदानी इलाकों में भी बर्फबारी का असर दिखने लगा है। केदारनाथ में बर्फ की सफेद चादर बिछ गई है। हाड़ कंपा देने वाली ठंड माइनस 10 डिग्री तापमान में भी केदारनाथ धाम में तीन सौ से अधिक मजदूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत पुनर्निर्माण कार्य में जुटे हैं।
वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद से केदारपुरी में पुनर्निर्माण कार्य शीतकाल में भी तेजी से चल रहे हैं। धाम में शीतकाल के समय भी मजदूर कार्य में जुटे रहते हैं। केदारनाथ में लगातार तापमान नीचे लुढ़क रहा है। कड़ाके की ठंड में तमाम परेशानियों से मजदूर जूझ रहे हैं, पीने का पानी नलों में जम चुका है, बर्फ पिघलाकर पानी पी रहे हैं। हालांकि अभी बर्फबारी नहीं हुई है, लेकिन रास्तों में पाले की परत पर चलना व काम करना काफी मुश्किल हो रहा है। केदारनाथ धाम में इन दिनों हाड़ कंपा देने वाली ठंड हो रही है।
समुद्रतल से 11,700 फिट की ऊंचाई पर है केदारनाथ धाम
केदारनाथ में न्यूनतम तापमान मध्य रात्रि व सुबह के समय रहता है, जबकि अधिकतम तापमान दोपहर के समय होता है। धूप खिलने पर दस से 12 डिग्री तक तापमान पहुंच रहा है, जबकि न्यूनतम दस डिग्री है। अधिक ठंड होने से सीमेंट के कार्य लगभग बंद कर दिए हैं। केदारनाथ धाम समुद्रतल से 11,700 फिट की ऊंचाई पर स्थित है।
पुनर्निर्माण कार्य में लगे हैं मजदूर
केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्य में जुटे मजदूरों का जोश कड़ाके की ठंड भी नहीं डिगा पा रही है। ठंड होने के बावजूद यहां की जीवन चर्या पूरी तरह बदल जाती है। पहले अपना शरीर को बर्फ के अनुकूल ढालना और फिर कार्य करना। बर्फबारी होने पर कोई नुकसान न पहुंचे, इसके लिए पूरी रात भर सतर्क रहना पड़ता है।
पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में है शामिल
केदारनाथ में इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डीएम प्रोजेक्ट में शामिल द्वितीय चरण के पुनर्निर्माण कार्य चल रहे हैं। इसमें चिकित्सालय भवन, तीर्थ पुरोहितों के घर, पुलिस चौकी, बाढ़ सुरक्षा कार्य, बदरीकेदार मंदिर समिति के भवन आदि कार्य चल रहे हैं। आने वाला दिसंबर का महीना मजदूरों के लिए और अधिक कठिन परीक्षा लेगा, क्यों कि दिसंबर में बर्फबारी के बाद तापमान माइनस 15 से बीस डिग्री नीचे पहुंच जाता है। इस दौरान पुनर्निर्माण कार्य करना काफी कठिन हो जाता है।
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केदारनाथ धाम में जब तक बर्फ नहीं जम जाती, तब तक कार्य गति से चलते रहेंगे। दिसंबर अंतिम सप्ताह व ठंड बढ़ने पर केदारनाथ में सात से आठ फीट बर्फ जम जाती है। इसके बाद केदारनाथ में निर्माण कार्य करना संभव नहीं हो पाता है, ऐसे में मजदूर वापस लौट जाते हैं।
बर्फ जमने से काम हो जाता है मुश्किल
केदारनाथ धाम में आपदा के बाद से ही शीतकाल में पुनर्निर्माण कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सेवानिवृत्त सूबेदार मनोज सेमवाल कहते हैं कि केदारनाथ में दिसंबर महीने में ठंड काफी बढ़ जाती है, इसके बावजूद मजदूर कार्य करते हैं, बताया कि केदारनाथ में बर्फ जमने पर कार्य करना मुश्किल हो जाता है।
सात से आठ फीट बर्फ जम जाने के बाद दो से तीन से चार माह तक कार्य पूरी तरह प्रभावित रहता है। वर्तमान में केदारनाथ में बर्फ नहीं जमी है, जिससे निर्माण कार्य चल रहे हैं। केदारनाथ धाम में कड़ाके की ठंड में भी तीन सौ से अधिक मजदूर कार्य में जटे हैं, सुबह साढ़े नौ बजे से कार्य शुरू हो जाता है, जो शाम चार बजे तक जारी रहता है।
अधिकारी ने कही ये बात
अभी तापमान माइनस दस डिग्री तक पहुंच रहा है। दिसंबर महीने में और अधिक ठंड बढ़ जाएगी। जब तक कार्य करना संभव होगा तब तक केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्य जारी रखे जाएंगे।- विजय झिंकवाण अधिशासी अभियंता, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण केदारनाथ
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