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    Kathua Terror Attack: बलिदानी आनंद की रग-रग में समाया हुआ था देश प्रेम, भाई ने कही ऐसी बात कि हर भारतीय को होगा गर्व

    Updated: Wed, 10 Jul 2024 09:28 AM (IST)

    Kathua Terror Attack जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आतंकी हमले में बलिदान हुए नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत की रग-रग में देश सेवा का जुनून समाया हुआ था। नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत की प्राथमिक शिक्षा गांव में ही संपन्न हुई जबकि इंटर तक की पढ़ाई उन्होंने राजकीय इंटर कालेज सुमाड़ी भरदार से की। वर्ष 2001 में आनंद 22-गढ़वाल राइफल में भर्ती हो गए।

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    Kathua Terror Attack: पिछले आठ वर्षों से दून में रह रहा था बलिदानी आनंद का परिवार

    संवाद सहयोगी, जागरण, रुद्रप्रयाग। Kathua Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आतंकी हमले में बलिदान हुए नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत की रग-रग में देश सेवा का जुनून समाया हुआ था। बचपन से ही वह सेना में जाने का सपना देखते थे और इस सपने को आकार मिला इंटर पास करने के बाद सेना में भर्ती होने पर।

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    गांव में हर व्यक्ति से उनका लगाव था, इसलिए पूरा गांव उनका छुट्टी आने का इंतजार रहता था। भले ही उनका परिवार पिछले आठ वर्षों से देहरादून में रह रहा है, लेकिन जब भी वह छुट्टी आते थे, अपने पैतृक गांव कांडा आना नहीं भूलते थे। उनके बलिदान होने पर भाई ने ऐसी बात कही, जिसे सुनकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा।

    गांव में हुई प्राथमिक शिक्षा

    नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत की प्राथमिक शिक्षा गांव में ही संपन्न हुई, जबकि इंटर तक की पढ़ाई उन्होंने राजकीय इंटर कालेज सुमाड़ी भरदार से की। देश सेवा का जज्बा उनमें बचपन से ही था, सो पढ़ाई के साथ-साथ सेना में भर्ती के लिए कड़ी मेहनत करते रहे। वर्ष 2001 में आनंद 22-गढ़वाल राइफल में भर्ती हो गए।

    आनंद के बचपन के दोस्त एवं कांडा के पूर्व प्रधान अमित रावत बताते हैं कि वह बेहद मिलनसार थे और गांव के हर व्यक्ति के साथ उनके परिवार जैसे संबंध थे। जब भी छुट्टी आते, कुछ दिन के लिए गांव भी जरूर पहुंचते थे। छह माह पूर्व जब वह छुट्टी पर बच्चों के पास आए तो उन्होंने पत्नी विजया से कहा था कि अगली बाद छुट्टी पर आऊंगा तो सभी गांव चलेंगे।

    बकौल अमित, ‘आनंद जम्मू-कश्मीर में तैनाती के दौरान के किस्से गांव वालों को सुनाया करता था। वह आतंकवादियों से मुठभेड़ के किस्से भी सुनाता था।’ बलिदानी आनंद के भाई कुंदन सिंह कहते हैं, ‘मैंने छोटा भाई जरूर खोया है, लेकिन देश के लिए उसके बलिदान पर गर्व की अनुभूति हो रही है। गांव ही नहीं, पूरे देश को उसे पर गर्व है।’ कुंदन के अनुसार, आनंद इतना मिलनसार था कि उसके घर आने पर गांव में सभी के चेहरे खिल उठते थे।

    कांडा भरदार में मातम

    आनंद के बलिदान की खबर से कांडा भरदार में मातम पसरा हुआ है। स्वजन का रो-रोकर बुरा हाल है। इस घटना के बाद मंगलवार को आनंद के भाई कुंदन देहरादून से उनकी पत्नी व बच्चों को गांव ले आए। उनका अंतिम संस्कार बुधवार को पैतृक घाट सूर्यप्रयाग में किया जाएगा।

    41 वर्षीय बलिदानी आनंद छह माह पूर्व छुट्टी पर घर आए थे। तब वह मां से मिलने गांव भी पहुंचे। उनकी पत्नी 38 वर्षीय विजया रावत और दो बेटे 16-वर्षीय मनीष व 13-वर्षीय अंशुल वर्तमान में देहरादून के मियांवाला स्थित शिवलोक कालोनी में रहते हैं। जबकि मां 70-वर्षीय मोली देवी और बड़ा भाई कुंदन गांव में रहते हैं। कुंदन की तिलवाड़ा में दुकान है।