केदारनाथ में घोड़े-खच्चर चलाने वाले का आईआईटी मद्रास में सिलेक्शन, ऐसे तय किया पहाड़ की पगडंडियों से IIT का सफर
रुद्रप्रयाग के अतुल कुमार की कहानी प्रेरणादायक है जिन्होंने आर्थिक तंगी और सीमित संसाधनों के बावजूद आईआईटी मद्रास में सफलता पाई। केदारनाथ यात्रा में घोड़े-खच्चर चलाकर परिवार का भरण-पोषण करने के साथ-साथ उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। शिक्षकों के प्रोत्साहन और अपनी मेहनत से अतुल ने यह मुकाम हासिल किया जो युवाओं के लिए एक मिसाल है। नीचे विस्तार से पढ़ें पूरी खबर।

बृजेश भट्ट, जागरण रुद्रप्रयाग। पहाड़ की पगडंडियों से आईआईटी मद्रास तक का सफर तय करने वाले अतुल कुमार की कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह सिद्ध करती है कि मजबूत इरादे और अथक परिश्रम से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
रुद्रप्रयाग जिले के दूरस्थ बसुकेदार क्षेत्र से आने वाले अतुल का जीवन अभावों से भरा रहा है। आर्थिक तंगी, बीमार पिता और सीमित संसाधनों के बावजूद उसने कभी हिम्मत नहीं हारी। गर्मियों में जब हजारों श्रद्धालु केदारनाथ धाम की यात्रा पर निकलते हैं, तो अतुल भी घोड़े-खच्चर पर उन्हें धाम तक पहुंचाने का काम करता है। यह काम उसके परिवार की रोज़ी-रोटी का जरिया है।
यात्रा सीजन में अतुल सुबह तड़के ही घोड़ा लेकर निकल जाता और दिन भर यात्रियों को 16 किमी की कठिन पैदल मार्ग पर केदारनाथ पहुंचाता। शाम को लौटने के बाद थके शरीर के साथ जब भी समय मिलता वह पढ़ाई करता। बाकी समय में उसने ऑनलाइन और किताबों के जरिए आईआईटी की तैयारी जारी रखी।
हालांकि घर की आर्थिक तंगी के चलते “कई बार मन मारकर व तमाम संसाधनों की कमी के बीच पढ़ाई करनी पड़ी, लेकिन लक्ष्य साफ था,” एक दिन कुछ करके दिखाना है। कठिनाइयों के बीच उसने हार नहीं मानी और आखिरकार इस साल उसका चयन आईआईटी मद्रास में हो गया।
होनहार छात्र
अतुल शुरू से ही होनहार छात्र रहा है, हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा में भी बेहत्तर अंक हासिल करने में सफल रहा। लेकिन घर की आर्थिकी स्थितियां बेहत्तर न होने से तमाम कठिनाईयों का सामना करना पड़ा, पहलं राजकीय महाविद्यालय अगस्त्यमुनि में प्रवेश लिया, लेकिन जब शिक्षकों ने अतुल की विलक्षण प्रतिभा देखी तो उसे केन्द्रीय विद्यालय श्रीनगर जाने की सलाह दी।
जिसके बाद अतुल ने सीमित संसाधन के बावजूद पढ़ाई के लिए श्रीनगर जाना जरूरी समझा। अतुल वर्तमान में हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विद्यालय में बीएसपी (विज्ञान) तृतीय वर्ष का छात्र है। अतुल न सिर्फ पढ़ाई में अव्वल है, बल्कि वह अनुशासित, मेहनती और बेहद विनम्र छात्र है।
युवाओं के लिए प्रेरणा
अतुल की सफलता जिले के उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बीच अपना बेहत्तर भविष्य तलाश रहे हैं। उसकी संघर्षशीलता और लगन प्रशंसनीय है। वहीं गांव के लोगों के लिए अतुल अब युवाओं के लिए मिसाल बन चुका है। उसकी सफलता यह बताती है कि ऊंचाइयां सिर्फ शहरों में नहीं, पहाड़ की कठिन राहों से भी छुई जा सकती हैं।
अतुल बताते हैं कि सफलता के पीछे उसका परिवार, गुरूजन व साथी का सहयोग रहा है। अपने सह पाठियों के साथ ही आईआईटी की पढ़ाई के लिए लगातार नोट्स व जरूरी चर्चा से तैयारियां को अंजाम दिया, और सफलता हासिल की। अतुल के दो भाई व दो बहिन है, वह दूसरे नंबर का है। पहली बड़ी बहन है जिसकी शादी हो चुकी है।
अतुल की खुशी से पिता ओमप्रकाश भी काफी खुश हैं। वह कहते हैं कि अतुल पढ़ाई के साथ ही घर के काम में भी हाथ बटाता है। बीमार होने के कारण केदारनाथ के लिए घोड़े-खच्चरों का संचालन अतुल व उनका छोटा बेटा करता है। वह कहते हैं कि अतुल की यह कामयाबी उसके बुलंद हौसलों का परिणाम है। माता संगीता देवी भी अतुल की खुशी से काफी खुश हैं।
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