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शीतकाल के लिए बंद हुए भगवान भैरवनाथ के कपाट

केदारनाथ के रक्षक के रूप में पूजे जाने वाले भगवान भैरवनाथ के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण एवं विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए छह माह को बंद कर दिए हैं।

By Edited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 11:55 PM (IST)Updated: Wed, 07 Nov 2018 10:15 PM (IST)
शीतकाल के लिए बंद हुए भगवान भैरवनाथ के कपाट
शीतकाल के लिए बंद हुए भगवान भैरवनाथ के कपाट

रुद्रप्रयाग, [जेएनएन]: केदारनाथ के रक्षक के रूप में पूजे जाने वाले भगवान भैरवनाथ के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण एवं विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए छह माह को बंद कर दिए हैं। केदारनाथ के कपाट बंद होने से पहले भैरवनाथ के कपाट बंद होने की परंपरा है। ॉ

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इस अवसर पर भैरवनाथ के पश्वा ने भक्तों को आशीर्वाद दिया। केदारनाथ के मुख्य पुजारी टी. गंगाधर लिंग ने ठीक 12 बजे केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर भोग लगाया। इसके उपरांत मंदिर समिति के कर्मचारियों की उपस्थिति में केदारनाथ की पहाड़ी पर बसे भैरवनाथ के कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू की। 

भैरवनाथ मंदिर में पुजारी ने दूध और घी से उनका अभिषेक किया। वेदपाठियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन किया। इस दौरान यहां पर पूरी, हलवा और पकोड़ी का प्रसाद बनाकर भगवान को भोग लगाया गया।

इस दौरान भैरवनाथ के पश्वा अरविंद शुक्ला पर भैरवनाथ नर रूप में अवतरित हुए और यहां उपस्थित भक्तों को अपना आशीर्वाद भी दिया। इस दौरान भक्तों के जयकारों से क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय हो गया। मंदिर में करीब दो घंटे चली पूजा-अर्चना के बाद भगवान भैरवानाथ के कपाट पौराणिक रीति रिवाजों के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। 

बता दें कि भैरवनाथ को भगवान को केदारनाथ के रक्षक के रूप में पूजा जाता है। केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद एवं कपाट बंद होने से पहले जो भी पहला मंगलवार व शनिवार आता है, उसी दिन भैरवनाथ के कपाट खोले व बंद करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। 

यहां पर बनाई गई पूरी, हलवा व पकोड़ी को भक्तों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। इस अवसर पर केदारनाथ के मुख्य पुजारी टी. गंगाधर लिंग, बदरी केदार मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह, कार्याधिकारी एनपी जमलोकी, प्रशासनिक अधिकारी वाइएस पुष्पाण, सहायक अभियंता गिरीश देवली, भैरवनाथ के पश्वा अरविंद शुक्ला, तीर्थपुरोहित श्रीनिवास पोस्ती, ओंकार शुक्ला समेत बड़ी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।

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