डीएम ने पेश की अनोखी मिसाल, स्कूल पहुंच बच्चों संग मनाई शादी की सालगिरह
जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने अपनी शादी की सालगिरह स्कूल पहुंचकर बच्चों के बीच मनाई। इस दौरान उन्होंने जमीन पर बैठ बच्चों के साथ खाना भी खाया।
रुद्रप्रयाग, जेएनएन। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल और उनकी पत्नी ऊषा घिल्डियाल ने अपनी शादी की छठी सालगिरह राजकीय प्राथमिक विद्यालय सतेराखाल में बच्चों के बीच जाकर मनाई। इस दौरान घिल्डियाल दंपती ने बच्चों के साथ बैठकर भोजन भी किया।
युवाओं के रोल मॉडल बन चुके कुशल प्रशासनिक क्षमता वाले रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल लीक से हटकर कार्य करने के लिए जाने जाते हैं। यही वजह है कि अपनी शादी की सालगिरह किसी होटल या अधिकारियों के बीच मनाने के बजाय वह सीधे प्राथमिक विद्यालय सतेराखाल पहुंचे और वहां गरीब परिवारों के बच्चों के बीच कुछ वक्त गुजारा। हालांकि, मंगेश और ऊषा की शादी की सालगिरह 21 मई को पड़ती है। लेकिन, पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ आगमन और फिर मतगणना के कार्य में व्यस्त रहने के कारण वह उस दिन सालगिरह नहीं मना सके। ऐसे में उन्होंने शनिवार सुबह गरीब परिवारों के बच्चों के साथ इस यादगार पल को मनाने का निर्णय लिया।
प्रावि सतेराखाल में मंगेश और ऊषा ने सादगी से बच्चों के बीच जमीन पर बैठकर भोजन किया। भोजन में बच्चों के लिए पनीर, खीर, पूरी, आलू-गोभी की सब्जी और भात बनवाया गया था। साथ ही केले, चॉकलेट, टॉफी, कोल्ड ड्रिंक, मिठाई आदि चीजें भी उनके लिए मंगवाई गई थी। विदित हो कि डीएम मंगेश और नैनीताल निवासी ऊषा की शादी साल 2013 में हुई थी।
रोजाना 16 घंटे करते हैं काम
डीएम मंगेश लगभग 16 घंटे काम करते हैं। वह सुबह छह बजे उठ जाते हैं और देर रात तक प्रशासनिक कार्यों में जुटे रहते हैं। सुबह दस बजे अपने कार्यालय जाने से पूर्व वह विद्यालयों मे जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं। साथ ही लोगों की समस्याओं को भी समझते हैं।
युवा से लेकर बुजुर्ग तके हैं कायल
रुद्रप्रयाग जिले में बुजर्ग हों या फिर बच्चे, हर कोई डीएम मंगेश घिल्डियाल का कायल है। हर सोमवार को जनता दरबार में उनसे मिलने के लिए जिले के दूरस्थ क्षेत्रों से ग्रामीणों की भीड़ जुटती है। कोई भी व्यक्ति चौबीसों घंटे किसी भी वक्त फोन करे, वह उसे रिसीव कर उसकी समस्या जरूर सुनते हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में बेहत्तर कार्य
मंगेश शिक्षा के क्षेत्र में भी बेहतरीन कार्य कर रहे हैं। इस कार्य में पत्नी ऊषा भी बखूबी उनका सहयोग करती है। डीम कोचिंग सेंटर खोलकर गरीब बच्चों को निश्शुल्क कोचिंग देने के साथ ही विद्यालयों में होनहार गरीब छात्रों को पुस्तकें भी निश्शुल्क उपलब्ध कराते रहते हैं। हर विद्यालय पर उनकी सीधी नजर रहती है।
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