बाबा केदारनाथ के रक्षक भुकुंट भैरवनाथ के कपाट बंद, धाम की यात्रा के लिए पांच दिन शेष
केदारनाथ धाम के रक्षक भुकुंट भैरवनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए विधि-विधान से बंद कर दिए गए। केदारनाथ मंदिर से पहले भैरवनाथ मंदिर के कपाट बंद करने की परंपरा है। मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और भोग अर्पित किया गया। इसके बाद हवन के साथ कपाट बंद करने की प्रक्रिया पूरी की गई। अब केदारनाथ धाम के कपाट भी जल्द ही बंद होंगे।

केदारनाथ धाम से पहले बंद किए जाते हैं भुकुंट भैरवनाथ के कपाट। जागरण
संवाद सहयोगी, जागरण, रुद्रप्रयाग। भगवान केदारनाथ के रक्षक भुकुंट भैरवनाथ के कपाट शनिवार दोपहर एक बजकर 15 मिनट पर विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इसके साथ ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। केदारनाथ धाम के कपाट 23 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे।
केदारनाथ मंदिर से लगभग 800 मीटर की पैदल दूरी पर स्थित है भुकुंट भैरवनाथ का मंदिर। परंपरा अनुसार, केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने से पूर्व भैरवनाथ मंदिर के कपाट बंद होते हैं। इस क्रम में शनिवार दोपहर केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना और भोग अर्पित किया गया। इसके बाद श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पदाधिकारी, श्री केदार सभा और पंच पंडा समिति के सदस्यों ने भैरवनाथ मंदिर की ओर प्रस्थान किया।
वहां धाम के पुजारी बागेश लिंग, धर्माधिकारी ओंकार शुक्ला, वेदपाठी यशोधर मैठाणी और तीर्थ पुरोहितों ने भैरवनाथ की पूजा-अर्चना की। उन्हें स्थानीय पकवानों और रोट का भोग अर्पित किया। इसके बाद हवन के साथ कपाट बंद करने की प्रक्रिया संपन्न हुई।
इस दौरान श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल, सदस्य विनीत पोस्ती, श्री केदार सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी व अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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