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Kedarnath Dham: केदारनाथ धाम में अन्नकूट उत्सव का उल्लास, स्वयंभू शिवलिंग को लगाया गया नए अनाज का भोग

केदारनाथ धाम में रविवार रात से अन्नकूट (भतूज) उत्सव शुरू हो गया। तीसरे पहर रात तीन बजे मंदिर के गर्भगृह में विराजमान स्वयंभू शिवलिंग को नए अनाज का भोग लगाया।

By Edited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 10:00 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 03:06 PM (IST)
Kedarnath Dham: केदारनाथ धाम में अन्नकूट उत्सव का उल्लास, स्वयंभू शिवलिंग को लगाया गया नए अनाज का भोग
Kedarnath Dham: केदारनाथ धाम में अन्नकूट उत्सव का उल्लास, स्वयंभू शिवलिंग को लगाया गया नए अनाज का भोग

रुद्रप्रयाग, जेएनएन। बारह ज्योतिर्लिगों में शामिल केदारनाथ धाम में रविवार रात से अन्नकूट (भतूज) उत्सव शुरू हो गया। तीसरे पहर रात तीन बजे मंदिर के गर्भगृह में विराजमान स्वयंभू शिवलिंग को नए अनाज का भोग लगाने के साथ ही उसके लेप से भगवान का श्रृंगार भी किया गया। भोर होने पर स्वयंभू लिंग से लेप को हटाकर उसे स्वच्छ स्थान पर विसर्जित किया जाएगा और फिर नित्य पूजा-अर्चना शुरू होगी। श्रद्धालु बाबा के इस दिव्य श्रृंगार का सभामंडप से दर्शन करेंगे। 

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कोरोना संक्रमण के चलते श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं है। परंपरा के अनुसार रविवार रात आठ बजे केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने गर्भगृह में स्वयंभू शिवलिंग की विशेष पूजा-अर्चना की। मध्यरात्रि में नए अनाज झंगोरा, चावल, कौंणी आदि का लेप लगाकर बाबा का श्रृंगार किया गया और फिर तीन से चार बजे तक श्रद्धालुओं ने उनके दर्शन किए। 
पुजारी शिव शंकर लिंग ने बताया कि केदारनाथ धाम में रक्षाबंधन पर्व से एक दिन पूर्व अन्नकूट उत्सव मनाने की यह परंपरा पीढि़यों से चली आ रही है। उत्तराखंड चारधाम देवास्थानम प्रबंधन बोर्ड के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते इस बार अन्नकूट उत्सव सादगीपूर्वक मनाया जा रहा है। उधर, विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी, घुणेश्वर महादेव मंदिर और कोलेश्वर मंदिर ऊखीमठ में भी रविवार रात अन्नकूट उत्सव मनाया गया।
 
पांच मिनट तक बरसाए फल-फूल  
रक्षाबंधन के दिन चंपावत जिले के देवीधुरा में बग्वाल मेले के दौरान दोनों पक्षों के योद्धाओं ने पांच मिनट तक एक दूसरे पर फल और फूल बरसाए। परंपरा को निभाने के लिए अंतिम क्षणों में आंशिक रूप से पत्थर भी चले। खोलीखांड दूबचौड़ मैदान में चार खाम और सात थोकों के रणबांकुरों ने मां के जयकारे के साथ मैदान की परिक्रमा की। सबसे पहले लमगडिय़ा खाम और चम्याल खाम के योद्धा मैदान में पहुंचे और उसके बाद वालिक खाम और अंत में गहड़वाल खाम के रणबांकुरे मैदान में आए।

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