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    World Post Day 2022 : डिजिटल युग में भी सीमांत जिले पिथौरागढ़ में अपनों का हाल जानने के लिए चिट्ठी का सहारा

    World Post Day 2022 पिथौरागढ़ में चीन सीमा से सटे मुनस्यारी के नामिक गांव में डाकघर का अपना खास महत्व है। संचार सेवा विहीन यहां के अधिकतर ग्रामीण बाहर रहने वाले सगे-संबंधियों से आज भी चिट्ठी के माध्यम से ही संवाद करते हैं।

    By Jagran NewsEdited By: Skand ShuklaUpdated: Sun, 09 Oct 2022 11:39 AM (IST)
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    डिजिटल युग में भी सीमांत जिले पिथौरागढ़ में अपनों का हाल जानने के लिए चिट्ठी का सहारा

    ओपी अवस्थी, पिथौरागढ़ : World Post Day 2022 : कुमाऊं के सीमांत पिथौरागढ़ में चीन सीमा से सटे मुनस्यारी के नामिक गांव में डाकघर का अपना खास महत्व है। संचार सेवा विहीन यहां के अधिकतर ग्रामीण बाहर रहने वाले सगे-संबंधियों से आज भी चिट्ठी के माध्यम से ही संवाद करते हैं। बैंकिंग सेवा भी डाकघर पर ही निर्भर है। यही हाल कोटा खड़िक, पंद्रहपाला व राया बजेता का भी है। सच कहें तो इन गांवों में आज भी प्रेम की पाती से ही अपनों की खबर मिलती है।

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    संचार क्रांति से दूर इन गांवों में रोजाना पोस्टमैन की प्रतीक्षा की जाती है। इस उम्मीद में कि किसी अपने की चिट्ठी आए और उसका हाल पता चले। मनीआर्डर मिले तो घर का खर्च चले। सरहद पर तैनात जवान हो या फिर देश के किसी भी हिस्से में काम करने वाला गांव का युवा, यहां आज भी पैसे मनीआर्डर से पहुंचते हैं। ग्रामीणों की आरडी हो या बचत खाता, सभी डाकघर में ही है।

    कोटा गांव निवासी खीम सिंह पवार, बालक सिंह पवार, खड़िक गांव निवासी सुंदर सिंह पवार, बजेता गांव के गजेंद्र सिंह, पंद्रहपाला के पूर्व खंड शिक्षाधिकारी गोपाल सिंह कहते हैं कि आज भी क्षेत्र के 24 से अधिक गांवों की व्यवस्था डाकघर पर ही निर्भर है। मुख्य बाजार नाचनी, बांसबगड़, तेजम तक संदेश भेजने के लिए डाक विभाग के हरकारे की मदद लेनी पड़ती है। ऐसे में किसी आपात स्थिति में हालात बदतर हो जाते हैं। लंबी दूरी तय कर मुख्य बाजार में पहुंचने के बाद ही मोबाइल से बात हो पाती है।

    संचार विहीन गांव

    कोटा, पंद्रहपाला, तल्ला-मल्ला, समकोट, राया, बजेता, डुंगरी, कोटा खड़िक, होकरा, नामिक, खोयम, गोला, डोकुला, लोध।

    उम्मीद की किरण

    चीन से लेकर नेपाल सीमा तक बीएसएनएल के साथ ही एक निजी दूरसंचार कंपनी मोबाइल टावर लगाने के लिए सर्वे कर रही है। उम्मीद है कि 2023 के अंत तक सीमांत में संचार सेवा कुछ सुगम होगी। लेकिन टावर के लिए जमीन की उपलब्धता और प्रशासनिक जटिलता से राह आसान नहीं दिख रही।

    हरकारे गांवों तक ले जाते हैं डाक

    प्रभारी उप डाकपाल टीएस महर ने बताया कि डाक मुनस्यारी से तेजम उपडाकघर आती है। वहां से फिर शाखा डाकघरों तक हरकारों के माध्यम से भेजी जाती है। ऐसे में जहां तक वाहन जाते हैं वहां तक तो सुविधा रहती है। उसके बाद हरकारे डाक गांवों तक ले जाते हैं। वहां पोस्टमैन डाक वितरित करते हैं। संचार विहीन गांवों में डाक की बेसब्री से प्रतीक्षा रहती है।

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