Updated: Fri, 26 Sep 2025 06:40 PM (IST)
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में पातों गांव की एक बीमार महिला को ग्रामीणों ने 12 किलोमीटर तक कंधे पर ढोया। सड़क मार्ग बंद होने और प्रशासन से मदद न मिलने के कारण ग्रामीणों ने यह कदम उठाया। महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीणों ने दो पाइपों और कपड़े का सहारा लिया। ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति भारी रोष है।
संवाद सूत्र, जागरण, मुनस्यारी । चीन सीमा से लगे मुनस्यारी के पातों गांव में एक बीमार महिला को ग्रामीणों ने दो पाइपों में कपड़े से बांधकर कंधों पर उठाया और 12 किलोमीटर दूर सड़क तक पहुंचाया। सड़क मार्ग जुलाई से ही बंद है और अब तक शासन-प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिल सकी है।
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ना हेलीकाप्टर, ना एंबुलेंस ग्रामीणों ने एक बार फिर सदियों पुरानी परंपरा निभाते हुए कंधों को ही एंबुलेंस बना लिया। 58 वर्षीय सुंदरी देवी, पत्नी प्रह्लाद सिंह दरियाल, कई दिनों से बीमार थीं और अब इतनी कमजोर हो गई हैं कि चलने-फिरने में भी असमर्थ हैं। पातों गांव को जोड़ने वाला लिलम-बुई-पातों मार्ग जुलाई के पहले सप्ताह में भूस्खलन के कारण ध्वस्त हो गया था, और तीन महीने बाद भी उसकी मरम्मत नहीं हो सकी है।
अति दुर्गम माइग्रेशन क्षेत्र में आता है गांव
यह गांव अति दुर्गम माइग्रेशन क्षेत्र में आता है, जहां ग्रीष्मकाल में लोग रालम ग्लेशियर के पास ऊंचाई वाले गांवों में जाते हैं। इलाके में प्राथमिक चिकित्सा सुविधा भी नहीं है, और निकटतम अस्पताल मुनस्यारी में है जो करीब 19 किलोमीटर दूर है। शासन ने पहले मुनस्यारी के लिए एक हेलीकाप्टर तैनात किया था, लेकिन वह भी कुछ दिनों बाद हटा लिया गया।
महिला की बिगड़ती हालत को देखते हुए स्वजन और ग्रामीणों ने तहसील, जिला प्रशासन और शासन से हेलीकाप्टर भेजने की मांग की। सीएम पोर्टल में भी शिकायत दर्ज की गई, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। अंततः ग्रामीणों ने ही दो पाइपों में कपड़ा बांधकर महिला को जैसे-तैसे सड़क तक पहुंचाया। वहां से वाहन की मदद से मुनस्यारी अस्पताल लाया गया।
शुक्रवार को हल्द्वानी-मुनस्यारी हेलीकाप्टर सेवा भी नहीं चली, जिससे महिला को हायर सेंटर नहीं भेजा जा सका। फिलहाल मुनस्यारी सीएचसी में उनका प्राथमिक उपचार किया गया है। गांव का संपर्क मार्ग अब भी क्षतिग्रस्त है, जिससे ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति भारी रोष है।
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