पिथौरागढ़ के सर्वाधिक उपजाऊ तल्ला बगड़ में रबी की फसल नष्ट
मानसून काल से लेकर शीतकाल तक कम हुई बारिश का असर दिखने लगा है। जिले के सर्वाधिक उपजाऊ तल्ला बगड़ की फसल नष्ट हो गई है

संवाद सूत्र, तीतरी (पिथौरागढ़) : मानसून काल से लेकर शीतकाल तक कम हुई बारिश का असर दिखने लगा है। नदी घाटी वाले क्षेत्रों में रबी की फसल नष्ट हो चुकी है। जिले के सर्वाधिक उपजाऊ क्षेत्र काली नदी घाटी के तल्ला बगड़ में रबी की फसल पूरी तरह सूख गई है, जिससे काश्तकार मायूस हैं। आलम यह है कि सूख रही फसल को उखाड़कर काश्तकारों ने अपने जानवरों को चरने के लिए खेतों पर छोड़ दिया है।
काली नदी घाटी का बगड़ीहाट और तीतरी का सेरा (मैदाननुमा खेत ) फसल के लिए चर्चित है। इस घाटी में साल की तीन फसलें अतीत में उगाई जाती थी। यह वह क्षेत्र हैं, जहां के काश्तकार आज भी गेहूं और धान बेचते आए हैं। इस मौसम में रबी की फसल के दौरान सरसों के फूलों से शस्य श्यामल बनी रहने वाली भूमि पहाड़ में कृषि के लिए नजीर बनी रहती थी। इस वर्ष प्रकृति के नाराज होने से खेत बंजर पड़ चुके हैं। कुछ दिनों पूर्व तक हरे-हरे दिखने वाले खेत अब मायूसी बिखेर रहे हैं।
इस क्षेत्र को सिंचित करने वाली जिले की सबसे पुरानी गुरजिया नाले से बनी नहर वर्ष 2016 की आपदा की भेंट चढ़ गई। नहर के लिए वर्ष 2020 में धन की स्वीकृति मिली, परंतु अभी तक यह नहीं बन सकी है। आसमान से हल्की बूंदों के गिरने से पहले तो पूरे बीज ही अंकुरित नहीं हुए। जो हुए, वे फरवरी अंत तक पर्याप्त बारिश नहीं होने से सूख चुके हैं। लाचार काश्तकार सूखी फसल उखाड़ने और जानवरों को चराने को मजबूर हो चुके हैं।
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एक हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर फसल सूखी तीतरी और बगड़ीहाट सेरे में एक हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर रबी की फसल उगाई जाती है। लगभग पूरी फसल नष्ट होने की कगार पर है। क्षेत्र के काश्तकार जगत सिंह कठायत, ललित धामी, मनीषा देवी आदि का कहना है कि पूर्व में कभी भी ऐसी स्थिति नहीं आई। पूर्व में बारिश देर से तो हुई परंतु फरवरी में अच्छी बारिश होने से फसल पंद्रह से बीस प्रतिशत तक ही प्रभावित होती थी। इस वर्ष पहली बार 15 प्रतिशत फसल भी नहीं बची है। खेती पर निर्भर परिवारों के सम्मुख गंभीर समस्या पैदा हो गया है। फसल सूखी खबर का
वर्जन
बारिश नहीं होने से जमीन से नमी पूरी तरह समाप्त हो गई है। इसका सबसे अधिक प्रभाव गेहूं, जौ और मसूर पर पड़ा है। अब बारिश होती भी है तो फसल को बहुत अधिक लाभ मिलने वाला नहीं है। साग, सब्जी और फल भी प्रभावित हो चुके हैं। आम, लीची सहित अन्य फलों का उत्पादन काफी कम होने के आसार बन रहे हैं। असिंचित क्षेत्रों में फसल, साग, सब्जी और फलों का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो चुका है।
-आरएस वर्मा, जिला उद्यान अधिकारी, पिथौरागढ़
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