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कैलास मानसरोवर यात्रियों को रास्ता देने में नेपाल का यूटर्न

कैलास मानसरोवर यात्रियों व उच्च हिमालयी क्षेत्र के लोगों की आवाजाही नेपाल के रास्ते कराने के मामले में नेपाल ने यूटर्न ले लिया है। इससे यात्रियों की मुसीबत बढ़ सकती है।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 15 Mar 2018 11:53 AM (IST)Updated: Thu, 15 Mar 2018 11:53 AM (IST)
कैलास मानसरोवर यात्रियों को रास्ता देने में नेपाल का यूटर्न
कैलास मानसरोवर यात्रियों को रास्ता देने में नेपाल का यूटर्न

धारचूला, पिथौरागढ़ [जेएनएन]: कैलास मानसरोवर यात्रियों व उच्च हिमालयी क्षेत्र के लोगों की आवाजाही नेपाल के रास्ते कराने के मामले में नेपाल ने यूटर्न ले लिया है। यह निर्णय पिछले सप्ताह पिथौरागढ़ जिले में हुई भारत-नेपाल अधिकारियों की बैठक में लिया गया था।

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दरअसल बीते वर्ष आई भीषण आपदा में धारचूला के मालपा और नजंग के बीच पूरा मार्ग बह गया था। पिछले माह फिर हुए भूस्खलन से मार्ग पूरी तरह से बंद हो गया है। इससे आवाजाही पूरी तरह बंद है। 

नेपाल ने आवाजाही के लिए अपनी भूमि का इस्तेमाल करने पर सहमति दी थी, लेकिन अब इससे नेपाल पीछे हट गया है। बुधवार को भारत-चीन व्यापार समिति के अध्यक्ष जीवन सिंह रौंकली की अगुवाई में धारचूला के लोगों ने नेपाल पहुंचकर दार्चुला(नेपाल)के सीडीओ से मुलाकात की और मार्ग की व्यवस्था जल्द किए जाने की मांग की। 

रौंकली ने बताया कि सीडीओ ने इस मामले में गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि मामला राजधानी काठमांडू से तय होना है। स्थानीय स्तर पर लिए गए निर्णय पर वह कुछ नहीं बता सकते। इससे माइग्रेशन अवधि व कैलास मानसरोवर यात्रा शुरू होने तक वाया नेपाल आवाजाही पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। 

हालांकि इस बीच भारत सरकार ने कैलास यात्रियों को वायुसेना की हेलीसेवा से गुंजी तक पहुंचाने की योजना भी बनाई है, लेकिन आम लोगों की आवाजाही पर ऊहापोह है। 

शीतकाल में उच्च हिमालय से नीचे उतरे हिमालयी गांव बूंदी, गर्बयांग, नपल्च्यू, गुंजी, रौंककांग, नाभी, कूटी आदि के लोग घाटियों से अपने मूल गांवों की ओर जानवरों सहित लौटेंगे। नेपाल के पीछे हटने से लोगों की मुश्किलें बढ़ना तय है।

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