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    Military Exercise: भारत और उज्बेकिस्तान का सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास पिथौरागढ़ में शुरू, जवान सीखेंगे युद्ध के गुर

    By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Mon, 20 Feb 2023 12:04 PM (IST)

    Military Training Exercise भारतीय सेना और उज्बेकिस्तान सेना के बीच सैन्य आदान-प्रदान कार्यक्रम का चौथा संस्करण आज सोमवार से से प्रारंभ हो गया है। यह ...और पढ़ें

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    Military Training Exercise: द्विवार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास दस्तक का चौथा संस्करण आज सोमवार से से प्रारंभ हो रहा है।

    जासं, पिथौरागढ़ : Military Training Exercise: भारत और उज्बेकिस्तान की सेना का 15 दिवसीय संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास सोमवार से पिथौरागढ़ के सैन्य क्षेत्र स्थित मैत्री मैदान में सोमवार को शुरू हो गया।

    दोनों देशों से अभ्यास को चयनित जवानों ने राष्ट्र धुन के साथ अपने-अपने देशों के राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देकर प्रशिक्षण का शुभारंभ किया।

    दोनों देशों के बीच प्रशिक्षण अभ्यास का यह चौथा संस्करण

    संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास के उदघाटन अवसर पर 14 गढ़वाल रायफल मेरठ यूनिट के बिग्रेडियर मयंक बैद ने बताया कि दोनों देशों के बीच प्रशिक्षण अभ्यास का यह चौथा संस्करण है।

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    प्रशिक्षण को दुस्तलिक यानी दोस्ती नाम दिया गया है। 2010 से यह प्रशिक्षण दो बार उज्बेकिस्तान और एक बार भारत में हो चुका है। अब चौथी बार पिथौरागढ़ में हो रहा है।

    दोनों देशों के 45-45 जवान और अधिकारी भाग ले रहे

    भारतीय दल का प्रतिनिधित्व गढ़वाल राइफल्स की एक इंफेंट्री बटालियान और उज्बेकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सैन्य जिले की ओर से किया जा रहा है।

    इसमें दोनों देशों के 45-45 जवान और अधिकारी भाग ले रहे हैं। भारत की तरफ से छह अधिकारी और 39 जवान और उज्बेकिस्तान के 10 अधिकारी और 35 जवान शामिल हैं।

    आतंकवाद विरोधी अभियानों पर ध्यान केंद्रित करेंगी टुकड़ियां

    संयुक्त अभ्यास में शामिल टुकड़ियां अर्द्ध शहरी और पहाड़ी इलाकों की पृष्ठभूमि में आतंकवाद विरोधी अभियानों पर ध्यान केंद्रित करेंगी। इसमें फील्ड ट्रेनिंग अभ्यास, युद्ध चर्चा, व्याख्यान और प्रदर्शन होंगे।

    दोनों देशों के जवान संभावित खतरों को बेअसर करने के लिए संयुक्त रूप से ट्रेनिंग ,प्लानिंग और प्रदर्शन करेंगे। नए दौर के रक्षा उपकरणों और प्रौद्योगिकी का उपयोग भी सीखेंगे। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच समझ, सहयोग और सकारात्मक संबंधों को मजबूत करना है।