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    पिथौरागढ़ में सजने लगा जौलजीबी मेला क्षेत्र, दुकान बनाने में जुटे व्यापारी, 3 देशों की संस्कृति की पहचान है यह

    By Jagran NewsEdited By: Rajesh Verma
    Updated: Sat, 12 Nov 2022 10:56 AM (IST)

    Jauljibi fair नेपाल में चुनाव के चलते मेला देर से प्रारंभ होने के कारण पहले के कुछ दिनों तक मेले में चहल-पहल कम होने के आसार हैं। मेले में दोनों देशों के लोग एक दूसरे देश में जाकर खरीदारी करते हैं।

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    सरकारी विभागों की प्रदर्शनी के लिए भी स्टाल बनने लगे हैं।

    संवाद सूत्र, जौलजीबी : Jauljibi fair: 14 नवंबर से प्रारंभ होने वाले जौलजीबी मेले को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। मेले में दुकान के आवंटन के बाद व्यापारी दुकान बनाने में जुटे हैं। 250 से अधिक व्यापारी दुकान लगाने के लिए पहुंच चुके हैं। दूसरी तरफ नेपाल में चुनाव को लेकर अभी तक कोई हलचल नजर नहीं आ रही है।

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    बनाए जा रहे हैं दुकान

    दुकानों के आवंटन के बाद शुक्रवार से दुकानों का निर्माण प्रारंभ हो चुका है। मेला स्थल को पूरी तरह तैयार कर दिया गया है। सांस्कृतिक मंच को भी सजाया जा रहा है। मेला क्षेत्र तक जाने वाले पैदल मार्गों की साफ-सफाई सहित मरम्मत की जा रही है। वहीं सरकारी विभागों की प्रदर्शनी के लिए भी स्टाल बनने लगे हैं।

    नेपाल चुनाव का पड़ा असर

    नेपाल में चुनाव के चलते मेला देर से प्रारंभ होने के कारण पहले के कुछ दिनों तक मेले में चहल-पहल कम होने के आसार हैं। मेले में दोनों देशों के लोग एक दूसरे देश में जाकर खरीदारी करते हैं। तीन दिन तो अंतरराष्ट्रीय पुल भी बंद रहने वाला है। व्यापार संघ अध्यक्ष धीरेंद्र धर्मशक्तू का कहना है कि नेपाल में चुनाव संपन्न होते ही दोनों देशों में मेला जोर पकड़ेगा। जिसे देखते हुए प्रशासन से दो दिन मेला अवधि बढ़ाने की मांग की गई है।

    तिब्बती सामान नहीं होना भी अखरेगा

    वर्ष 1962 से पूर्व मेले में तिब्बती व्यापारी भी अपनी दुकानें सजाते थे। तीन देशों की संस्कृति जौलजीबी मेले को अन्य मेलों से अलग पहचान देती थी। चीन युद्ध के बाद तिब्बत की प्रत्यक्ष भागीदारी समाप्त हो गई। वर्ष 1992 से भारत चीन व्यापार प्रारंभ होने के बाद तिब्बती सामान की मेले में उपस्थिति होने लगी।

    • भारतीय व्यापारी तिब्बती मेले से आयातित सामान लेकर सबसे पहले जौलजीबी मेले में ही पहुंचते हैं।
    • वर्ष 2020 से भारत चीन व्यापार भी बंद होने से मेले में तिब्बती सामान मसलन ऊन, ऊनी वस्त्र, जैकेट, साबर के जूते, कंबल, शर्ट, मफलर, छिरबी जैसे अनेक वस्तुएं नजर नहीं आएंगी।
    • तिब्बत से आयातित सामान अन्य सामान से सस्ता रहता है और मेलार्थियों की पहली पसंद भी होती है।

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