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    International Boxer Nikita Chand: गरीबी नहीं आने दी आड़े, अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में जड़े गोल्डन पंच

    Updated: Thu, 03 Oct 2024 03:16 PM (IST)

    International Boxer Nikita Chand अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज निकिता चंद ने गरीबी को मात देकर कई स्वर्ण पदक जीते हैं। 18 वर्षीय निकिता को गोल्डन गर्ल के नाम से जाना जाता है। गरीबी में पली निकिता छोटी सी उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में चार स्वर्ण व एक रजत पदक जीतकर दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं। जानिए उनकी प्रेरणादायक कहानी और उनके आगामी लक्ष्यों के बारे में।

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    International Boxer Nikita Chand: 18 वर्षीय निकिता को गोल्डन गर्ल के नाम से जाना जाता है।

    विजय उप्रेती, जागरण, पिथौरागढ़ । International Boxer Nikita Chand: प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है। कोई भी बाधा प्रतिभा को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती है। जरूरत है प्रतिभाओं को मौका देने की। यह बात सीमांत जनपद पिथौरागढ़ की बेटी निकिता चंद पर सटीक साबित होती है। गरीबी में पली निकिता छोटी सी उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में चार स्वर्ण व एक रजत पदक जीतकर दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं।

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    18 वर्षीय निकिता को गोल्डन गर्ल के नाम से जाना जाता है। विकासखंड मूनाकोट के बड़ालू गांव निवासी निकिता की पारिवारिक स्थिति बेहद दयनीय है। पिता सुरेश चंद व माता दीपा चंद गृहणी हैं। दूध बेचकर परिवार का गुजारा चलता है। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण निकिता मात्र नौ साल की उम्र में अपने फूफा के साथ रहने लगीं और यहीं से उनकी कामयाबी का सफर शुरू हुआ।

    फूफा 1987 में रह चुके हैं बाक्सिंग में नेशनल चैंपियन

    निकिता के फूफा बिजेंद्र मल्ल 1987 में बाक्सिंग में नेशनल चैंपियन रह चुके हैं। वह अपने घर पर ही युवाओं को बाक्सिंग का प्रशिक्षण देते हैं। निकिता ने फूफा को मुक्केबाजों के साथ पंच मारते देखा तो उनके अंदर भी बाक्सिंग का शौक जागा और तभी से उन्होंने बाक्सिंग को अपना लक्ष्य बना लिया।

    वर्ष 2016 में उन्होंने फूफा से बाक्सिंग की ट्रेनिंग लेनी शुरू की। वर्ष 2019 में नेशनल स्कूल गेम्स में कांस्य पदक प्राप्त कर अपनी प्रतिभा साबित की। फिर 2021 में सोनीपत में हुई जूनियर नेशनल बाक्सिंग में स्वर्ण पदक जीतकर चैंपियन बनीं। इसके बाद वर्ष 2021 में ही निकिता ने दुबई में हुई जूनियर एशियन चैंपियनशिप के 60 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर पहली बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर दुनिया में अपना लोहा मनवाया।

    इसके बाद वर्ष 2022 में जार्डन में और 2023 में कजाकिस्तान में हुई जूनियर एशियन बाक्सिंग चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता। इसी वर्ष मार्च माह में मांटिग्रो में आयोजित वर्ल्ड कप में भी निकिता ने स्वर्ण पदक व बेस्ट बाक्सर का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया। इसके अलावा इसी वर्ष एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर पदक भी अपने नाम कर लिया।

    फूफा कोच बिजेंद्र के कुशल मार्गदर्शन में निकिता का अगला लक्ष्य अब सीनियर एशियन बाक्सिंग चैंपियनशिप, कामनवेल्थ गेम व वर्ष 2028 में होने वाले ओलिंपिक खेल में भी स्वर्ण जीतना है। इसके लिए वह कड़ी मेहनत में जुटी हैं। निकिता वर्तमान में एलएसएम परिसर में बीए प्रथम सेमेस्टर में अध्ययनरत हैं।

    बहन व भाई भी सीख रहे फूफा से बाक्सिंग के गुर

    निकिता के साथ ही उनकी छोटी बहन खुशी चंद व छोटे भाई नीरज चंद भी फूफा बिजेंद्र मल्ल से बाक्सिंग के गुर सीख रहे हैं। निकिता की राह पर चलते हुए छोटी बहन खुशी ने इसी वर्ष मार्च माह में सब जूनियर नेशनल बाक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।

    विगत वर्ष सब जूनियर ओपन बाक्सिंग में भी गोल्ड मेडल हासिल किया और इसी वर्ष विगत नौ सितंबर को अबूधाबी में हुई एशियन बाक्सिंग चैंपियनशिप में खुशी ने कांस्य पदक जीता। वहीं छोटे भाई नीरज चंद भी राज्य स्तरीय बाक्सिंग में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।

    कोच बिजेंद्र ने बताया कि सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, मगर पारिवारिक आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण ये प्रतिभाएं दम तोड़ देती हैं, इसलिए ऐसी प्रतिभाओं को तराशना जरूरी है।