बर्फ के साथ सुंदर पक्षी देखने हैं तो खलिया आइए
मध्य हिमालय का खलिया टाप बर्फ के अलावा उच्च हिमालय से अल्प प्रवास के लिए पहुंच सुंदर पक्षियों के कलरव से गूंज रहा है।

संवाद सूत्र, मुनस्यारी : मध्य हिमालय का खलिया टाप बर्फ के अलावा उच्च हिमालय से अल्प प्रवास के लिए पहुंचे रंग बिरंगे और आकर्षक पक्षियों के कलरव से गूंज रहा है। इस बार उच्च हिमालय से पहुंचा क्यफ पक्षी सभी को लुभा रहा है। इसके अलावा अन्य पक्षी भी तीन हजार मीटर की ऊंचाई तक प्रवास के लिए पहुंच चुके हैं।
प्रतिवर्ष शीतकाल में उच्च हिमालय में 35 सौ मीटर से अधिक की ऊंचाई पर पाए जाने वाले दुर्लभ पक्षी खलिया में शीतकालीन प्रवास के लिए आते हैं। मार्च माह के अंत में फिर से उच्च हिमालय को चले जाते हैं। अमूमन अधिकांश पक्षी अक्टूबर माह के अंत तक माइग्रेशन कर लेते हैं, परंतु इस बार उच्च हिमालय में बीते वर्षों की अपेक्षा अक्टूबर माह तक बर्फ कम होने से पक्षी अब माइग्रेशन कर खलिया से लेकर तीन हजार मीटर की ऊंचाई तक पहुंच चुके हैं। इसी दौरान खलिया में बर्फबारी होने से पक्षियों को अपने अनुकूल माहौल मिल चुका है।
वर्ड वाचिग अभियान चलाने वाले मोनाल संस्था के सुरेंद्र पवार का कहना है कि खलिया में अभी तक 12 से 13 तक स्नो काक, नौ से 10 का झुंड स्नो प्राटीज, रेडहैंड बुलफिच, रेड बिलियड काफ का झुंड खलिया तक पहुंच चुका है। उच्च हिमालयी आकर्षक क्यफ के झुंड भी खलिया में डेरा डाल चुके हैं। क्यफ कौवे जैसे होता है और इसकी चौंच लाल होती है। क्यफ को खलिया खूब भा रहा है। खलिया पहुंचने वाले बर्ड वाचिग के शौकीन पर्यटक पक्षियों को देख रहे हैं। पवार का कहना है कि मोनाल, कस्तूरा मृग भी खलिया क्षेत्र में डेरा डाल चुके हैं।
उच्च हिमालयी सुंदर पक्षी इस समय मुनस्यारी से लेकर खलिया तक बर्फ के बाद आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं। इस वर्ष साल के अंतिम दिन खलिया में दो फीट के आसपास बर्फ और ऊपर से दुर्लभ पक्षियों के दर्शन पर्यटकों को लुभा रहे हैं।
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