कारगिल युद्ध में पिथौरागढ़ के चार जवानों ने दी थी शहादत
जागरण संवाददाता पिथौरागढ़ पिथौरागढ़ जिला देश में शहादत देने वाले जवानों की संख्या में काफ ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ जिला देश में शहादत देने वाले जवानों की संख्या में काफी आगे है। कारगिल युद्ध में भी जिले के चार जवानों ने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वाेच्च बलिदान दिया। जिले से किशन सिंह भंडारी, गिरीश सिंह सामंत, कुंडल बेलाल और जवाहर सिंह शहीद हुए है। कारगिल युद्ध के बीस वर्षो में परिवार इस जख्म से तो उबर गए हैं, परंतु शहीदों के नाम पर हुई घोषणाएं अभी भी अधूरी हैं।
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सेना में अफसर बनने की तैयारी कर रहा है शहीद का बेटा
पिथौरागढ़: कारगिल शहीद स्व. किशन सिंह भंडारी का पुत्र जितेंद्र का सपना भी सेना में अफसर बनना है। इस समय बीएससी की पढ़ाई कर रहा जितेंद्र सेना में जाने के लिए सीडीएस की तैयारी कर रहा है। उसकी माता तनुजा की भी तमन्ना बेटे के सेना में जाकर देश सेवा करने की है।
जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर स्थित जजुराली गांव निवासी लांसनायक किशन सिंह भंडारी कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेते शहीद हो गए थे। शहादत के समय उनकी पत्नी तनुजा के अलावा दो पुत्रियां और पुत्र की आयु डेढ़ वर्ष के करीब थी। परिवार को परवरिश देने वाला देश सेवा को समर्पित हो गया था। शहीद की पत्नी तनुजा को अपना जीवन अंधकारमय लग रहा था। बच्चों के भविष्य की खातिर संरक्षक के रू प में ससुर पूर्व सैनिक मान सिंह भंडारी के संरक्षण में शहीद परिवार टूटने के बाद उबर गया। सरकार द्वारा मिली मिली मदद से और अपने प्रयासों इस परिवार ने मिसाल कायम की है। शहीदों के अरमानों को पूरा करने के लिए परिवार जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ आ गया। जहां पर मकान खरीद कर शहीद के बच्चों को अच्छे पब्लिक स्कूलों में दाखिला दिया गया। शहीद के नाम पर पेट्रोल पंप स्वीकृत हुआ। विषम परिस्थितियों पर झेलते हुए परिवार आज अपने पैरों पर खड़ा है। शहीद की पुत्री दीपा भंडारी बीटेक कर विप्रो में नौकरी कर रही है। दूसरी पुत्री भावना एमएससी की पढ़ाई पूरी कर अब नेट की तैयारी कर रही है। बेटा जितेंद बीएसी की पढ़ाई कर रहा है और एनसीसी कर चुका है। उसका लक्ष्य सेना में अफसर बनने का है। शहीद की वीरांगना तनुजा बताती हैं कि सरकार से मिली सहायता और शहीद पति के अरमानों को पूरा करने का संकल्प लिया है।
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सड़क नहीं बनने का है दुख
शहीद किशन सिंह की शहादत के 20 वर्ष पूरे हो गए। शहीद के नाम पर घोषित दो किमी सड़क आज तक पूरी नहीं हो सकी है। जो सड़क बनी है वह भी कच्ची है। शहीद के परिवारजन गांव तक शहीद के नाम की सड़क चाहते हैं।
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टूटी नहीं शांति, बच्चों को दिलाई उच्च शिक्षा
पिथौरागढ़: तत्कालीन डीडीहाट तहसील के देवलथल क्षेत्र उड़ई गांव निवासी हवलदार गिरीश सिंह सामंत कारगिल युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देते हुए शहीद हुए थे। उनकी शहादत के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ आ गया। शहादत के समय शहीद की पुत्री मोनिका और पुत्र अमित इतने छोटे थे जो पिता के शहीद होने का अर्थ भी नहीं समझते थे। परिवार का सहारा छिन गया था। शहीद की पत्नी शांति के समक्ष संतानों की परवरिश और जीवन की कठिन चुनौतियां थी। पति की शहादत के बाद वह कई दिनों तक सदमे में रहीं। बाद में इस वीरागंना ने वह कर दिखाया जिसे देखते हुए आज हर कोई उनके साहस की सराहना करता है।
बच्चों की शिक्षा के लिए शहीद का परिवार जिला मुख्यालय आ गया। दोनों बच्चों को बेहतर शिक्षा दी गई। पुत्री मोनिका ने पंतनगर विश्व विद्यालय से बीटेक कर कंपनी में नौकरी कर रही हैं। पुत्र अमित उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहा है। सरकारी मदद से शहीद परिवार ने पिथौरागढ़ में मकान भी बना लिया। वर्ष 2006 में शहीद के नाम पर गैस एजेंसी मिली तब से गैस एजेंसी का संचालन किया जा रहा है।
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मात्र 19 वर्ष की उम्र में कुंडल ने दी शहादत
पिथौरागढ़: तहसील पिथौरागढ़ के बेलाल गांव निवासी कुंडल सिंह बेलाल मात्र 19 वर्ष की उम्र में देश की रक्षा के लिए शहीद हो गए थे। अभी जीवन शुरू होना था उससे पूर्व ही कुंडल ने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया। माता कूना देवी और पिता राम सिंह बेलाल पुत्र की शहादत के बाद बुरी तरह टूट गए थे। भाई प्रकाश बेलाल ने जैसे तैसे माता, पिता और परिवार को संभाला। आज भी माता, पिता पुत्र को लेकर आंसू बहाते हैं। एक तरफ कारगिल विजय के बीस वर्ष हो चुके हैं। शहीद के गांव बेलाल गांव तक स्वीकृत सड़क का कार्य पूरा नहीं हो सका। अशोक नगर से बेलाल गांव तक सड़क के नाम पर सड़क खोदी गई न तो इस बोर्ड लगा और नही सड़क पूरी हो सकी। शहीद के भाई प्रकाश बेलाल बताते हैं कि सरकार की तरफ से गैस एजेंसी की बात कही जाती है। इस संबंध में बात तो होती है, परंतु लाख प्रयास करने के बाद भी गैस एजेंसी नहीं मिली है। परिवार शहीद के नाम पर बोले गए झूठ को लेकर नाराज है।

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