नैनी सैनी हवाई पट्टी के समीप जंगलों में भड़की आग
पिथौरागढ़ जिले के जंगल शांत नहीं हो पा रहे हैं।

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : जिले के जंगल शांत नहीं हो पा रहे हैं। जिले भर में कई जंगल धधक रहे हैं। जिला मुख्यालय के नजदीकी सौड़लेख के जंगल भी आग की चपेट में आ गए। घंटों जंगल में आग लगी रही। जिले भर में अब तक 52.75 हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो चुका है।
जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर सौड़लेख के जंगल पूरी रात धधकते रहे। मुख्यालय से भी आग की लपटें साफ देखी गई। क्षेत्रवासियों ने आग लगने की सूचना वन विभाग को दी, लेकिन वन विभाग की टीम मौके पर नहीं पहुंची। कई घंटों बाद आग खुद ही बुझ गई। नजदीकी जंगल में आग लगने से मंगलवार को मुख्यालय के वातावरण में धुंध छाई रही। वन विभाग जंगलों की आग को काबू कर पाने में कुछ ठोस नहीं कर पा रहा है। वन क्षेत्राधिकारी ने बताया कि सूचना मिलने के बाद वन विभाग की टीम क्षेत्र में भेजी गई थी। टीम के क्षेत्र में पहुंचने तक आग बुझ गई।
इधर वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले के जंगलों में आग लगने की अब तक 32 घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं में 52.75 हेक्टेयर जंगल जल चुका है। नुकसान का आंकलन वन विभाग कर रहा है। ====== 28 घंटे बाद बुझ पाई ढकना बडोला के जंगल में लगी आग
जासं, चम्पावत : जिला मुख्यालय के समीप के गांव ढकना बडोला के जंगल में सोमवार दोपहर में लगी आग पर मंगलवार को 28 घंटे बाद काबू पाया जा सका। जंगल के करीब दो हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में लगी आग को बुझाने में वन कर्मियों के पसीने छूट गए। जंगल में फैली आग ने निजी वन को भी अपने चपेट में ले लिया।
जिला मुख्यालय से लगे ढकना बडोला के जंगल में सोमवार पूर्वान्ह करीब 11 बजे आग लग गई थी। सूचना मिलने पर वन विभाग के कर्मी मौके पर पहुंचे, लेकिन तेजी से लगी आग ने जंगल के बड़े हिस्से को चपेट में लिया। हालांकि वन कर्मियों और ग्रामीणों ने आग बुझाने की तमाम कोशिश की, लेकिन सोमवार देर सायं तक आग नहीं बुझाई जा सकी। मंगलवार सुबह एक बार फिर वन कर्मियों और ग्रामीणों ने आग बुझाने के प्रयास किए। कड़ी मशक्कत के बाद मंगलवार सायं करीब साढ़े तीन बजे जंगल में लगी आग पर काबू पाया जा सका। चम्पावत रेंजर हेम चंद्र गहतोड़ी ने बताया कि आग से दो हेक्टेयर से अधिक वन पंचायत को नुकसान हुआ है। इसके अलावा लोगों के निजी जंगल को भी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि आग बुझाने के काम में अन्य क्षेत्रों के वन कर्मियों को भी लगाया गया। आग आगे न फैले इसके लिए कई जगह फायर लाइन भी बना दी गई है।
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