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    मालपा में आपदा के बाद प्रशासनिक काहिली, नहीं पहुंच पाए हेलीकॉप्टर

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Thu, 17 Aug 2017 08:59 PM (IST)

    बादल फटने की घटना में तबाह हुए मालपा व मांगती घटियाबगड़ में गुरुवार को खोज अभियान में निराशा हाथ लगी। घटियाबगड़ में खोज अभियान तेज हो रहा है।

    मालपा में आपदा के बाद प्रशासनिक काहिली, नहीं पहुंच पाए हेलीकॉप्टर

    धारचूला (पिथौरागढ़), [जेएनएन]: बादल फटने की घटना में तबाह हुए मालपा व मांगती घटियाबगड़ में गुरुवार को खोज अभियान में निराशा हाथ लगी। घटियाबगड़ में खोज अभियान तेज हो रहा है, जबकि मालपा में आपदा के बाद लोग प्रशासनिक काहिली का दंश झेल रहे हैं। 

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    मालपा में महज दो राजस्व कर्मी ही प्रशासन की ओर से अभी तक पहुंच पाए हैं। यहां स्थानीय गांवों के युवक खोज अभियान चला रहे हैं। जबकि घटियाबगड़ में सेना के हेलीकॉप्टरों के जरिये एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमों को पहुंचाया गया है। गुरुवार को खोज अभियान मौसम के कारण प्रभावित हुआ। घटियाबगड़ के लिए उड़े सेना के हेलीकॉप्टर बीच रास्ते से ही लौट आए।

    सोमवार तड़के बादल फटने की घटना में मालपा व घटियाबगड़ में 30 लोगों की मौत की बात सामने आई है। अभी तक 12 शव बरामद किए गए हैं। सेना के लापता जेसीओ समेत छह जवानों का भी पता नहीं चल सका है। मालपा में प्रशासनिक काहिली का नमूना यह भी है कि लोग गायब लोगों के नाम पते नोट करा रहे हैं लेकिन प्रशासन अब तक सूची तक तैयार नहीं करा पाया है। 

    मालपा में घटना की रात मौजूद रहे नेपाली मजदूरों और पोटर्स का कहना है कि उस रात उच्च हिमालय से लौट रहे अधिकांश लोगों ने मालपा में ही शरण ली थी। मालपा के सभी होटल भरे हुए थे। रात को बादल फटने से तीन होटल बह गए। जिसमें दो होटलों में नेपाली मजदूर ठहरे थे। 

    बहे हुए एक होटल में रुके 11 नेपाली मजदूर लापता हैं। इनकी मौत की पुष्टि उनके साथी कर रहे हैं लेकिन प्रशासन उन्हें अपनी सूची में दर्ज करने को तैयार नहीं। हालांकि इसमें एक नेपाली मजदूर का शव भी मिल गया है। अपने साथियों के शव नहीं मिलने से नेपाली जान जोखिम में डाल कर नजंग नाले को एक डंडे के सहारे पार कर वापस लौट कर अपने देश को जा रहे हैं। 

    इस समय उच्च हिमालय में निर्माण कार्य चल रहे हैं। इसके अलावा भारत चीन व्यापार का सामान आता-जाता है। ठेकेदार इसके लिए नेपाली मजदूरों को लगाते हैं। जिसका ब्योरा केवल ठेकेदारों के पास होता है। अभी तक किसी भी ठेकेदार ने अपने मजदूरों की जानकारी नहीं दी है और न ही प्रशासन ने ठेकेदारों से कोई सूची मांगी है। जिसके चलते मृतकों और लापता लोगों की सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। 

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