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    शौकाओं के ईष्ट देव हैं ह्या गबला देव

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 20 Aug 2017 07:58 PM (IST)

    संवाद सहयोगी, धारचूला: ह्या गबला देव शौकाओं यानि रं समाज के ईष्ट देव हैं। पूरी दारमा घाटी में रं समा

    शौकाओं के ईष्ट देव हैं ह्या गबला देव

    संवाद सहयोगी, धारचूला: ह्या गबला देव शौकाओं यानि रं समाज के ईष्ट देव हैं। पूरी दारमा घाटी में रं समाज के लोग निवास करते हैं। गबला देव मेला इस घाटी का सबसे बड़ा मेला है और लोगों की आस्था से जुड़ा है। इस मेले में दारमा घाटी का जनजीवन परिलक्षित होता है। अगस्त माह के तीसरे सप्ताह में मनाए जाने वाले इस मेले की तिथि का निर्धारण दांत गांव के लोग करते हैं।

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    चार दिवसीय इस कार्यक्रम में प्रतिदिन सुबह पूजा-अर्चना, दलंग सहित सामूहिक पूजा अर्चना चलेगी। दिन में सामूहिक भोज के बाद सायं को खेलकूद प्रतियोगिताएं होगी और देर रात तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। मेले की व्यवस्थाएं दारमा सेवा समिति और महोत्सव समिति के नारायण दरियाल, रमेश तितियाल, जीवन मार्छाल, प्रेम सिंह नगन्याल, सुंदर बौनाल, शंकुतला दताल, लीला बंग्न्याल, पूर्व शिक्षा निदेशक चंद्र सिंह ग्वाल,मनोज नगन्याल, मोहन सिंह बगन्याल आदि कर रहे हैं।

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    इन गांवों के ग्रामीण लेते हैं भाग

    धारचूला: दारमा घाटी के दांतू, गो, बौन, मार्छा, दुग्तू, सेला, चल, तिदांग, सौन, सीपू, ढाकर, बालिंग, नागलिंग, दर के ग्रामीण भाग लेते हैं। इन सभी गांवों में रं लोग रहते हैं।

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    मार्ग बंद होने से मेले पर पड़ा प्रभाव

    धारचूला: 40 वर्ष बाद होने वाले गबला देव महोत्सव को लेकर दारमा घाटी के दांतू में होने वाले मेले में भारी संख्या में लोगों के पहुंचने की संभावना थी। तहसील के व्यास घाटी के प्रवेश द्वार में आपदा आने तथा तवाघाट से आगे मार्ग बंद होने से महोत्सव में पहुंचने वाले फंसे रहे। मेले में इस क्षेत्र के बड़े ओहदों पर आसीन रहे लोग पूर्व शिक्षा निदेशक चंद्र सिंह ग्वाल, नृप सिंह नपलच्याल, मोहन सिंह बगन्याल सहित कई लोग पहुंचे हैं।

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    दानवीरा जसुली देवी सौक्याणी भी इसी गांव की थी

    धारचूला: दानवीरा जसुली देवी दताल सौक्याणी दांतू गांव की रहने वाली थीं। दानवीरा जसुली देवी सौक्याणी ने कैलास मानसरोवर यात्रियों के लिए काठगोदाम और टनकपुर से कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में यात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशालाएं बनाई थी। जिसमें नैनीताल-अल्मोड़ा हाईवे पर चौपड़ा के पास और टनकपुर-तवाघाट हाईवे पर सतगड़ के पास अभी भी धर्मशालाएं मौजूद हैं। दांतू गांव के प्रवेश द्वार मं दानवीरा लला जसुली देवी बूढ़ी सौक्याणी का स्मारक व द्वार बनाया गया है। इसी स्थान पर मेले का आयोजन हो रहा है।