सिकुड़ रहा पहाड़ के युवाओं का सीना
प्रदीप माहरा, बेरीनाग : भारतीय सेना में सर्वाधिक प्रतिनिधित्व करने वाला पहाड़ अब युवाओं के शारीरिक वि
प्रदीप माहरा, बेरीनाग : भारतीय सेना में सर्वाधिक प्रतिनिधित्व करने वाला पहाड़ अब युवाओं के शारीरिक विकास को लेकर पिछड़ रहा है। पहाड़ के अधिकांश युवाओं का सीना सेना में भर्ती के लिए मान्य मानकों से कम मिल रहा है। इसका मुख्य कारण अत्यधिक मोबाइल फोन का प्रयोग और नशा माना जा रहा है। यदि इसमें सुधार नहीं हुआ तो पहाड़ में बेरोजगारों की संख्या में काफी अधिक बढ़ने की आशंका है।
पहाड़ के युवाओं की पहली पसंद सेना है। यहां का आम युवा सेना में जाने को अपना लक्ष्य मान कर चलता है। इतिहास भी गवाह है कि पहाड़ के युवाओं ने सेना में जाकर उल्लेखनीय कार्य किए हैं। अतीत में यहां के युवा सेना में भर्ती होने के लिए काफी प्रयास करते थे। ऊंची-नीची पगडंडियों पर दौड़कर यहां के युवा सेना में ऊंचे पदों तक पहुंचे हैं। इधर अब परिदृश्य बदल रहा है। बेरीनाग में दो दिन से यूथ फाउंडेशन के तत्वावधान में सेना में जाने के इच्छुक युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाया है। शिविर में पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत सहित अन्य पर्वतीय क्षेत्रों के युवा पहुंचे हैं।
शिविर में सबसे पहले सेना में भर्ती होने के मानकों के अनुसार नाप, जोख की जा रही है। इस प्रक्रिया के दौरान सबसे चौकाने वाला तथ्य सामने आया है। अधिकांश युवा लंबाई, वजन में तो कामचलाऊ मिल रहे हैं परंतु युवा सीने को लेकर प्रशिक्षण से बाहर हो जा रहे हैं। शिविर में आए फिजिकल प्रशिक्षक लक्ष्मण सिंह का कहना है कि पहाड़ में पिछले दो वर्षो से युवाओं में सीना कम होने की शिकायत मिल रही है। वह कहते हैं कि युवाओं के मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग और गुटखा सहित अन्य नशा करने से यह कमी आ रही है। युवा अपने शरीर के प्रति गंभीर नजर नही आ रहे हैं। इसे उन्होंने पहाड़ के लिए बेहद गंभीर बताया है और अभी से सजग रहने को कहा है।
इस संबंध में जागरण ने शिविर में आए युवाओं से बात की। जिसमें सफल हो रहे युवाओं ने मोबाइल का कम प्रयोग और नशे से दूर रहने की बात बताई।
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इंटर पास करने के बाद से लगातार सेना में भर्ती का प्रयास कर रहा हूं। प्रतिदिन घंटों व्यायाम करता हूं। गांव में भी रास्तों पर दौड़ लगाता हूं। सेना में जाने का ही लक्ष्य है। मोबाइल फोन से तौबा की है। गुटखा सहित नशे से दूर रहता हूं। एक दिन सेना अवश्य ज्वाइन करूंगा।
शंकर सिंह मेहरा, सेराघाट, अल्मोड़ा
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सेना में भर्ती होने के लिए रोज गांव आठ किमी की दौड़ लगाता हूं। अब तक कई स्थानों पर जाकर परीक्षा दे चुका हूं। सेना में भर्ती होना ही जीवन का लक्ष्य है। मोबाइल का प्रयोग नहीं करता हूं। एक दिन अवश्य सेना में भर्ती होकर दिखाऊंगा। इसी के लिए प्रशिक्षण लेने बेरीनाग आया हूं।
योगेश सनवाल, अल्मोड़ा
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हमारे साथ सेना में भर्ती के लिए प्रशिक्षण लेने आए कई युवा नशे का भी प्रयोग करते हैं। इसके चलते युवावस्था में उनका शारीरिक विकास प्रभावित हो रहा है। पहाड़ के युवा नशे से दूर रहे तो अभी भी सबसे अधिक पहाड़ के युवा सेना में भर्ती होंगे।
राजकुमार सिंह, कपकोट बागेश्वर
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पहली बार सेना भर्ती के लिए हो रहे प्रशिक्षण में भाग ले रहा हूं। परीक्षण के दौरान जो जानकारी मिल रही है उसे देखते नशे और मोबाइल फोन से दूरी रखनी होगी। इस तरह के प्रशिक्षण शिविरों से ही युवाओं में जागरूकता आएगी।
विजेंद्र चंदोला, बागेश्वर
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