Uttarakhand Temple: देवभूमि के इस मंदिर में भंडारे की बुकिंग में नजर आती है बाबा के प्रति आस्था, 2032 तक फुल
Siddhabali Temple Kotdwar सिद्धबली मंदिर कोटद्वार में विराजमान पवनसुत हनुमान के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं। कलियुग में शिव का अवतार माने जाने वाले गुरू गोरखनाथ को इसी स्थान पर सिद्धि प्राप्त हुई थी। सीता रसोई में जहां भंडारे की तिथि 2032 तक के लिए फुल है करीब डेढ़ माह पूर्व शुरू की गई पार्वती रसोई में यह तिथि 2026 तक के लिए फुल हो गई है।
जागरण संवाददाता, कोटद्वार। Siddhabali Temple Kotdwar: कोटद्वार के प्रसिद्ध श्री सिद्धबली मंदिर में विराजे सिद्धबाबा के प्रति श्रद्धालुओं की किस कदर अटूट आस्था है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण भंडारे की बुकिंग को देख लगाया जा सकता है। भक्त सच्चे मन से बाबा के दरबार में मनोकामना लेकर आते हैं और मनोकामना पूर्ण होने के बाद मंदिर में भंडारे का आयोजन करते हैं।
भंडारे की दिन-प्रतिदिन लंबी हो रहे फेहरिस्त के चलते अब मंदिर प्रशासन ने भंडारे के लिए दो रसोईयों बना दी हैं। सीता रसोई में जहां भंडारे की तिथि 2032 तक के लिए फुल है, करीब डेढ़ माह पूर्व शुरू की गई पार्वती रसोई में यह तिथि 2026 तक के लिए फुल हो गई है।
गुरू गोरखनाथ के आदेश पर पवनपुत्र हैं विराजे
सिद्धबली मंदिर में विराजमान पवनसुत हनुमान के दर्शनों को उत्तराखंड ही नहीं, उत्तर प्रदेश, दिल्ली से भी बड़ी तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं। सिद्धबली मंदिर के बारे में मान्यता है कि कलियुग में शिव का अवतार माने जाने वाले गुरू गोरखनाथ को इसी स्थान पर सिद्धि प्राप्त हुई थी, जिस कारण उन्हें सिद्धबाबा कहा जाता है।
गोरख पुराण के अनुसार, गुरू गोरखनाथ के गुरू मछेंद्रनाथ पवनसुत बजरंग बली की आज्ञा से त्रिया राज्य की शासिका रानी मैनाकनी के साथ गृहस्थ आश्रम का सुख भोग रहे थे। जब गुरू गोरखनाथ को इस बात का पता चला तो वे अपने गुरू को त्रिया राज्य के मुक्त कराने को चल पड़े।
मान्यता है कि इसी स्थान पर बजरंग बली ने रूप बदल कर गुरू गोरखनाथ का मार्ग रोक लिया। जिसके बाद दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। दोनों में से कोई भी एक-दूसरे को परास्त नहीं कर पाया, जिसके बाद बजरंग बली अपने वास्तविक रूप में आ गए व गुरू गोरखनाथ के तपो-बल से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान मांगने को कहा।
गुरू गोरखनाथ ने बजरंग बली श्री हनुमान से इसी स्थान पर उनके प्रहरी के रूप में रहने की गुजारिश की। गुरू गोरखनाथ व बजरंग बली हनुमान के कारण ही इस स्थान का नाम ''सिद्धबली'' पड़ा व आज भी यहां पवनपुत्र हनुमान प्रहरी के रूप में भक्तों की मदद को साक्षात रूप में विराजमान रहते हैं।
दो रसोई, फिर भी इंतजार
सिद्धबली बाबा के प्रति श्रद्धालुओं की अगाध आस्था का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मंदिर समिति की ओर से हाल ही में शुरू की गई पार्वती रसोई में भंडारे के लिए 2026 तक के लिए बुकिंग हो चुकी है।
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भंडारा प्रमुख हरीश वर्मा ने बताया कि इस रसोई में मात्र मंगलवार, शनिवार व रविवार को ही भंडारा तैयार किया जा रहा है। पूर्व से संचालित सीता रसोई में मंगलवार, शनिवार व रविवार को बुकिंग के लिए 2032 तक का इंतजार करना पड़ेगा। बताया कि सीता रसोई में सोमवार, बुधवार, गुरूवार व शुक्रवार को भंडारे के लिए 2029 तक की बुकिंग फुल है।
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