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    Uttarakhand Disaster: पहाड़ में जहां-तहां दुश्वारियों का 'पहाड़', गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे वॉशआउट

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 03:33 PM (IST)

    उत्तराखंड में भारी बारिश से गंगोत्री और यमुनोत्री राजमार्ग बाधित हैं जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित है और यात्री जोखिम उठाकर यात्रा करने को मजबूर हैं। पौड़ी में आपदा से कई गांव प्रभावित हुए हैं जिसमें लोगों की जान गई है और संपत्ति का नुकसान हुआ है। कई परिवारों को विस्थापन की सिफारिश की गई है।

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    गंगोत्री राजमार्ग भिन्नू गदेरे और बगड़धार के पास वॉशआउट। File

    जासं, नई टिहरी। तीन दिनों से गंगोत्री राजमार्ग और यमुनोत्री राजमार्ग के बाधित होने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। गंगोत्री राजमार्ग भिन्नू गदेरे और बगड़धार के पास वॉशआउट हुआ है। अब दैनिक जरूरतों का सामान जैसी दूध, सब्जी आदि नहीं पहुंच पा रहा है।

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    गंगोत्री राजमार्ग के मुख्य बाजार चंबा के सभी तीनों पेट्रोल पंप पर तेल ही खत्म हो गया है। मार्ग बंद होने से लोगों को ऋषिकेश से देवप्रयाग होते हुए गजा, रानीचौरी से बादशाहीथौल होते हुए नई टिहरी या चंबा से उत्तरकाशी के लिए दोगनी से भी अधिक दूरी तय करके पहुंचना पड़ रहा है।

    यमुनोत्री हाईवे भी जीवन आश्रम के पास वॉशआउट है। हालांकि यहां एनएच की ओर से वैकल्पिक मार्ग बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके अलावा एक दर्जन से अधिक जगहों पर विद्युत और पेयजल आपूर्ति भी बाधित है। जिले में 40 मार्ग बंद हैं।

    उत्तरकाशी में हर्षिल-धराली आपदा के बाद गंगोत्री व यमुनोत्री धाम की यात्रा बहाल हो गई है। गंगोत्री हाईवे पर हीना से गंगोत्री तक यात्रियों को छोटे वाहनों से ही भेजा जा रहा है। यमुनोत्री हाईवे पर भी खरादी से जानकीचट्टी तक यात्रियों को छोटे वाहनों से आवाजाही करनी पड़ रही है। लेकिन गंगोत्री व यमुनोत्री हाईवे पर भूस्खलन, भू-धंसाव के बीच यात्री जोखिम के बीच यात्रा करने को मजबूर हैं।

    बीते सोमवार को ऋषिकेश-धरासू व मसूरी-उत्तरकशी मार्ग बंद होने के बाद से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति लड़खड़ाई हुई है। हालांकि गुरुवार आज छोटे वाहनों की आवाजाही बहाल हो गयी है। लेकिन भारी वाहनों की आवाजाही बहाल नहीं होने से ईंधन समेत दूध, सब्जी आदि का संकट बना हुआ है। 

    पौड़ी में आपदा 338 गांवों में जख्म छोड़ गई है। आठ लोग जान गंवा चुके हैं, जबकि छह अभी भी लापता चल रहे हैं। 22 परिवारों के आशियाने तबाह हो चुके हैं। जिले में विभिन्न हादसों में 19 लोग घायल हो गए थे। वर्तमान में 44 परिवार आज भी राहत शिविरों में रहे रहे हैं। 44 परिवारों के घरों को तीक्ष्ण क्षति पहुंची है। छह अगस्त की सुबह यहां बड़ी आपदा आई थी। जिले के पाबौ ब्लाक स्थित ग्राम सैंजी में 17 मकान और पांच दुकानें बह गई थीं। बुरांसी गांव में दो बहनों की मौत हो गई थी।

    थलीसैंण के बांकुड़ा गांव में सड़क निर्माण के कार्य के लिए टेंट में रह रहे पांच नेपाली मूल के लोग बह गए थे, जिनमें एक का शव मिल चुका है। थलीसैंण के रणगांव में एक युवती गदेरे के तेज बहाव की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई थी।

    कोटद्वार में सिद्धबली मंदिर के समीप हाईवे पर एक वाहन के ऊपर दो बोल्डर गिरने से दो लोगों की मौके पर मौत हो गई थी। यमकेश्वर में सड़क किनारे खड़े ट्रक में बैठे चालक-परिचालक वाहन सहित भूस्खलन की चपेट में आ गए थे। दोंनों का आज तक कोई पता नहीं चल पाया है। यहां सार्वजनिक संपत्ति का 244 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। भू-गर्भीय टीम ने आपदा प्रभावित 26 परिवारों के विस्थापन की सिफारिश की है।